निर्मल अखाड़ा में संतों ने खेली फूलों की होली

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हरिद्वार: कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में होली पर्व पर संत समाज ने फूलों की होली खेली। इस दौरान संतों ने एक दूसरे पर पुष्पवर्षा कर होली की बधाई दी और विश्व कल्याण की कामना की।

कार्यक्रम में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने सभी को होली शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्यार भरे रंगों से सजा होली पर्व धर्म, संप्रदाय एवं जाति के बंधन खोलकर समाज को एकता भाईचारे का संदेश देता है। बुराई पर अच्छाई की जीत का यह पर्व समस्त देशवासियों के जीवन में खुशहाली लाएं यही संत समाज की कामना है। भारतीय संस्कृति के सबसे खूबसूरत पर्व होली को सभी को हर्ष और उल्लास के साथ मनाना चाहिए।

श्री जयराम आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि होली का पर्व शांति एवं प्रेम एकता तथा भाईचारे का संदेश देता है। होली पर्व भारतीय संस्कृति की विशेष पहचान है। युवाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि नशे का परित्याग कर भारतीय संस्कृति व परंपराओं के अनुरूप ही होली मनाएं।

श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी भक्त प्रल्हाद ने भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी और अंत में स्वयं श्रीहरि ने दर्शन देकर भक्त प्रह्लाद की रक्षा की। होली पर्व पर सभी को ईर्ष्या द्वेष भावना का त्याग कर समाज को समरसता का संदेश देना चाहिए। यही होली पर्व का मुख्य सार है।

स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत निर्मलदास एवं महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि महाराज ने कहा कि होली पर्व एकता और प्रेम का प्रतीक है। होली पर्व समाज में फैली कुरीतियों को समाप्त करने का पर्व है।

महंत अमनदीप और महंत ज्ञानी खेम सिंह महाराज ने कार्यक्रम में शामिल सभी संतों का फूल माला पहनाकर व चंदन का तिलक लगाकर स्वागत किया।

इस दौरान महंत गोविंददास, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महामंडलेश्वर स्वामी संतोषानंद, महंत सूरजदास, महंत प्रह्लाद दास, महंत रामानंद सरस्वती, स्वामी हरिवल्लभ दास शास्त्री, स्वामी ऋषिश्वरानन्द, महंत दिनेश दास आदि सहित बड़ी संख्या में संत उपस्थित रहे।

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