ट्रंप न पिघले तो मचेगा हाहाकार, मंदी की चपेट में आएगी इकॉनोमी

बीजिंग: अमरीका और चीन के बीच टैरिफ वॉर डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद से ही जारी है। माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की तरफ से चीनी निर्यात पर टैरिफ बढ़ाए जाने से ड्रैगन को करारा झटका लगने वाला है। खासतौर पर उसके यहां बेरोजगारी में तेज इजाफा हो सकती है और दशकों से ग्रोथ में चल रही इकॉनोमी मंदी की चपेट में आ सकती है। एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि यदि टैरिफ वॉर ऐसे ही जारी रहा, तो चीन में 90 लाख नौकरियां मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में छिन सकती हैं। इसके अलावा चीन में प्रॉपर्टी ग्रोथ भी पहले से काफी डाउन है। चीन में पहले ही बेरोजगारी की दर दोहरे अंकों में जा चुकी है। यूनिवर्सिटी और कालेजों से निकलने वाले नए ग्रैजुएट्स को नौकरी मिलने में दिक्कतें आ रही हैं। इस तरह चीन में पहले से ही लाखों लोग बेरोजगारी के दलदल में हैं और अमरीका से टैरिफ वॉर इस संकट को और बढ़ा सकता है।
दरअसल चीन में अकेले 100 मिलियन नौकरियां मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ही हैं। इसी महीने चीन और अमरीकी अधिकारियों के बीच सहमति बनी है कि अस्थायी तौर पर टैरिफ को कम कर दिया जाए। इसकी वजह है कि दोनों देश ही ऑल आउट ट्रेड वॉर में नहीं जाना चाहते। इससे दोनों की ही इकॉनोमी के मंदी में आने की आशंका है। इन्वेस्टमेंट बैंक नैटिक्सिस की एक रिपोर्ट के अनुसार यदि अमरीका की ओर से लागू टैरिफ ऐसे ही लागू रहे, तो फिर चीन की ओर से अमरीका को किया जाने वाला निर्यात आधा हो सकता है। ऐसी स्थिति में छह मिलियन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की नौकरियां छिन सकती हैं। यही नहीं यदि टैरिफ वॉर तेज हुआ और यह ट्रेड वॉर में तबदील हुआ तो फिर नौकरियां छिनने आंकड़ा नौ मिलियन यानी 90 लाख तक जाने की आशंका है।
गोल्डमैन सैक्स का अनुमान, जाएंगी 1.6 करोड़ नौकरियां
बता दें कि बीते महीने ही गोल्डमैन सैक्स की भी एक रिपोर्ट आई थी। इसमें कहा गया था कि चीन में अमरीकी फैसलों के चलते 1.6 करोड़ नौकरियां छिन सकती हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि यदि चीन और अमरीका के बीच ऐसे ही संघर्ष बना रहा तो फिर लेबर मार्केट में दबाव होगा। ऐसी स्थिति नौकरियों के लिए संकट पैदा करेगी। खासतौर पर मैन्युफैक्टरिंग और रिटेल सेक्टर में यह संकट अधिक होगा।