ग्लेशियर झील और भूस्खलन से बाढ़ प्रकोप पर हुआ सेमिनार का आयोजन
रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की), और जल संसाधन विभाग, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस), नई दिल्ली, संयुक्त रूप से ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) और लैंडस्लाइड लेक आउटबर्स्ट फ्लड (एलएलओएफ) हिमालयी क्षेत्रों में आपदाएं विषय पर एक राष्ट्रीय हाइब्रिड संगोष्ठी का आयोजन आईआईटी रुड़की के अलावा वेबएक्स के माध्यम से ऑनलाइन भी कर रहे हैं। संगोष्ठी हिमनद और भूस्खलन झील के फटने के कारण बाढ़ से संबंधित खतरों के साथ इसके मानचित्रण और मॉडलिंग के लिए मानक कोड के विकास से संबंधित वर्तमान मुद्दों तथा इससे जुड़े वैज्ञानिक समुदाय के विभिन्न समूहों के बीच विचारों और ज्ञान के आदान-प्रदान के अवसर के रूप में कार्य करेगी। इसकी परिकल्पना बेहतर डॉक्युमेंट्स बनाने, अद्यतन (अपडेट) करने और संबंधित क्षेत्र में नए भारतीय मानकों को तैयार करने में मदद करने के लिए की गई है, जो नवाचार, विकास और सर्वोत्तम प्रथाओं के संचार को आगे बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।
बीआईएस राष्ट्रीय मानकीकरण के क्षेत्र में एक शीर्ष संगठन है जो मानकीकरण के विभिन्न क्षेत्रों को कवर करते हुए 16 डिवीजन परिषदों के माध्यम से किया जाता है। जल संसाधन विभाग बीआईएस के ऐसे 17 विभागों में से एक है जो इन नदी घाटी परियोजनाओं और भूजल से संबंधित क्षेत्र में मानकीकरण और मानकों के निर्माण से संबंधित है। सम्मेलन प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में आयोजित किया गया जिसमें संजय पंत, उप महानिदेशक (मानकीकरण-द्वितीय), बीआईएसय आर. भानु प्रकाश, वैज्ञानिक-ई निदेशक एवं प्रमुख, जल संसाधन विभाग, बीआईएसय प्रो. मनोरंजन परिदा, उप निदेशक आईआईटी रुड़कीय प्रोफेसर अरुण कुमार, हाइड्रो और अक्षय ऊर्जा विभाग, आईआईटी रुड़की साथ ही आईआईटी रुड़की में बीआईएस से संबंधित गतिविधियों के समन्वयकय प्रो. सी. एस. पी. ओझा, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी, रुड़कीय डॉ अजंता गोस्वामी, पृथ्वी विज्ञान विभाग और डॉ मोहित प्रकाश मोहंती, जल संसाधन विकास और प्रबंधन विभाग, आईआईटी रुड़की उपस्थित हुए।