हिमाचल के हाटी समुदाय को मिलेगा अनुसूचित जनजाति का दर्जा

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शिमला: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के गिरिपार क्षेत्र में रहने वाले हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने का रास्ता साफ हो गया है।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने और इस क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किए जाने की तकरीबन 55 वर्ष पुरानी मांग को पूरा करने का रास्ता साफ हो गया है। उन्होंने संसद के मानसून सत्र में इससे संबंधित विधेयक संसद में पेश होने की संभावना जताई।

हिमाचल भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में ठाकुर ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बीते सोमवार को मुलाकात हुई थी। शाह ने उन्हें बताया कि एथिनोग्राफी रिपोर्ट पूर्ण है और जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में स्वीकृति मिलने के बाद संसद के आगामी सत्र में इसे पेश किए जान की उम्मीद है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संसद की मंजूरी मिलने के बाद करीब तीन लाख की आबादी वाले हाटी समुदाय के लोगों को जनजाति का दर्जा मिलेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 1967 से हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा और गिरि पार क्षेत्र को अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र घोषित किए जाने की मांग उठती रही है लेकिन यह मामला मानव जाति विज्ञान संबंधी शोध यानी एथनोग्राफिक स्टडी सहित अन्य विभिन्न तकनीकी अड़चनों की वजह से रुकता गया। ठाकुर ने कहा कि‘प्रक्रिया के दौरान आरजीआई (भारत के महापंजीयक) ने तकनीकी खामियों के संबंध में बार-बार कई जानकारियां और स्पष्टीकरण मांगे थे, इसके साथ ही जो कमियां थीं उन्हें पूरा किया गया।

उन्होंने बताया कि वर्ष 1967 में ही उत्तराखंड के जौनसार बावर क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति क्षेत्र घोषित कर दिया था लेकिन हिमाचल प्रदेश के लोगों को इसका लाभ नहीं मिला और तभी से इसी आधार पर हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा दिए जाने की मांग उठती रही है। जौनसार बावर क्षेत्र उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है।

ठाकुर ने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक हाटी समुदाय के लोगों की संख्या ढाई लाख के करीब थी जो आज तीन लाख हो गई है।

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