अरब और नाइजीरिया के लोगों का भी सहारा बना तिरंगा, उत्तराखंड के छात्रों ने सुनाई आपबीती

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देहरादून: आवास विकास कॉलोनी निवासी पारस अग्रवाल व ग्राम शिमला पिस्तौर निवासी चंदन जल्होत्रा सकुशल घर लौट आए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया है। बताया कि अन्य देशों के लोगों ने भी अपनी जान के बचाव के लिये तिरंगे का ही सहारा लिया। दोनों बच्चों के घरों में उनकी सकुशल वापसी पर जश्न का माहौल है। देर रात एसडीएम कौस्तुभ मिश्रा ने यूक्रेन से लौटे पारस अग्रवाल का चुकटी देवरिया स्थित टोल प्लाजा पर स्वागत किया।

उसके बाद सकुशल घर पहुंचाया। घर पर पत्रकारों से बात करते हुए पारस ने विदेश की धरती पर तिरंगे का महत्व बताया। पारस ने बताया कि अरब, नाइजीरिया, फिलीपींस समेत कई देशों के छात्र-छात्राएं तिरंगे झंडे से लगी बसों और टैक्सियों का सहारा लेकर सकुशल यूक्रेन से रोमानिया बॉर्डर पर पहुंचे और तिरंगे का आभार जताया। कहा कि वे कीव से 200 किमी बस से रोमानिया बार्डर पहुंचे। नो मैंस लैंड के 13 किमी हिस्से को पैदल पार किया। हमारी बस पर तिरंगे लगे थे, इसलिये किसी ने कहीं नहीं रोका।

इधर, ग्राम शिमला पिस्तौर निवासी चंदन जल्होत्रा पुत्र राजकुमार जल्होत्रा रात ढाई बजे अपने घर पर पहुंचे चंदन ने बताया कि उनकी फ्लाईट वाया मुंबई थी। मुंबई एयरपोर्ट पर भी उत्तराखंड सदन का शिविर लगा था। मुंबई वालों ने टिकट की व्यवस्था कर दिल्ली की फ्लाइट में बैठाया। बताया कि रोमानिया का एक व्यक्ति लगातार तीन दिन तक हमारे साथ रहा। उसने हमें किसी तरह की परेशानी नहीं होने दी। दोनों के घरों पर जश्न का माहौल है। दोनों छात्रों का लोगों ने जोरदार स्वागत किया। उनके घर पर व्यापार मंडल महामंत्री विजय अरोड़ा, अंकुर पपनेजा, हीरा सिंह कालरा, अंकुर गर्ग, राकेश मदान, सांसद प्रतिनिधि विपिन जल्होत्रा, अनिल जल्होत्रा, सचिन गंभीर आदि थे। पाकिस्तानी बोला, हम लोग भाई-भाई, फर्क सिर्फ झंडे में है पारस ने बताया कि रोमानिया में कई देशों के लोग यूक्रेन से आने वालों की सेवा में जुटे थे। पाकिस्तानी लोग भी सेवा कर रहे थे। जब हम लोगों ने उनकी ओर से दी जा रही सेवा से बचने की कोशिश की तो एक पाकिस्तानी ने हमसे कहा कि हम लोग भाई-भाई हैं फर्क सिर्फ दोनों देशों के झंडे में हैं।

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