शुभांशु शुक्ला संग 8 जून को लॉन्च होगा एक्सिओम-4, अंतरिक्ष में तलाशी जाएंगी इंसानों के रहने के लिए संभावनाएं, जानें क्या है खास

चेन्नई: नासा 8 जून को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला द्वारा संचालित एक्सिओम-4 मिशन के लिए उड़ान तत्परता समीक्षा मिशन आयोजित करेगा। नासा के अनुसार मिशन को 8 जून, 2025 को फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से प्रक्षेपित किया जाएगा।
आईएसएस कार्यक्रम प्रबंधक डाना वीगेल ने 21 मई को कहा कि स्टेशन कार्यक्रम इस मिशन के लिए उड़ान तत्परता समीक्षा आयोजित करेगा। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो एक्स-4 मिशन के पायलट हैं, उनके अलावा अन्य चार चालक दल के सदस्य अमेरिका के कमांडर पैगी व्हिटसन, पोलैंड के मिशन विशेषज्ञ स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्निएव्स्की और हंगरी के मिशन विशेषज्ञ टिबोर कापू हैं। स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए से ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट पर सवार एक्स-4 क्रू को आईएसएस के लिए प्रक्षेपित करेगा।
स्पेसएक्स के ड्रैगन मिशन मैनेजमेंट की निदेशक सारा वॉकर ने कहा कि टीमें वर्तमान में ड्रैगन के अंतिम एकीकरण अभियान को आगे बढ़ा रही हैं। उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि अगले सप्ताह ड्रैगन को हमारे हैंगर में ले जाया जाएगा, ताकि उसे लॉन्च के लिए रॉकेट के साथ एकीकृत किया जा सके।” प्रक्षेपण इस महीने के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन कुछ परीक्षण गतिविधियों के कारण इसे कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया था।
एक्सिओम-4 मिशन के तहत किए जाएंगे प्रयोग
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सहयोग से एक्सिओम-4 मिशन के अंतर्गत विभिन्न प्रयोग किए जाएंगे। इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला हिस्सा लेंगे। यह परियोजना इसरो, नासा और डीबीटी की साझा पहल है, जिसका लक्ष्य अंतरिक्ष में विभिन्न शैवाल प्रजातियों के विकास मापदंडों और परिवर्तनों का अध्ययन करना है। सरल शब्दों में, यह देखा जाएगा कि पृथ्वी पर इन प्रजातियों के विकास की तुलना में अंतरिक्ष में उनका विकास कैसे होता है।
सूक्ष्म शैवाल प्रजातियों का अध्ययन
एक्सिओम-4 मिशन के दौरान खाद्य सूक्ष्म शैवाल (माइक्रोएल्गी) की तीन प्रजातियों की वृद्धि और उनकी आनुवंशिक गतिविधि पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव का विश्लेषण किया जाएगा। इससे अंतरिक्ष में उपयोग के लिए सबसे उपयुक्त सूक्ष्म शैवाल प्रजातियों की पहचान करने में सहायता मिलेगी।
एक अन्य प्रयोग में यह जांचा जाएगा कि स्पाइरुलिना और साइनोकोकस जैसे साइनोबैक्टीरिया सूक्ष्मगुरुत्व (माइक्रोग्रैविटी) में कैसे विकसित होते हैं और यूरिया तथा नाइट्रेट आधारित पोषक माध्यमों का उपयोग करते हुए उनकी प्रतिक्रिया कैसी होती है। इससे अंतरिक्षयात्रियों के लिए विश्वसनीय खाद्य स्रोत सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। साथ ही, अंतरिक्ष में मांसपेशियों पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव का भी अध्ययन किया जाएगा।