अमेरिका के टैरिफ शुल्क को मात देने के लिए चीन ने तैयार किया मास्टर प्लान

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ताइपे: अमेरिकी शुल्क से उत्पन्न व्यापार युद्ध से निपटने के लिए चीन अन्य देशों के साथ अपने गठबंधन को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। चीन ने मंगलवार को बीजिंग में आयोजित एक कार्यक्रम में लैटिन अमेरिकी नेताओं के साथ एकजुट मोर्चा पेश किया। चीन के नेताओं ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को अमेरिकी शुल्क में बढ़ोतरी और अन्य नीतियों से उत्पन्न अनिश्चितता एवं अस्थिरता की पृष्ठभूमि में खुद को एक विश्वसनीय व्यापार तथा वृद्धि भागीदार के रूप में पेश किया है। वहीं अमेरिका और चीन ने हाल ही में एक-दूसरे पर लगाए भारी शुल्क में से अधिकतर पर 90 दिन की रोक लगाने को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति बनने की सोमवार को जानकारी दी थी।

अमेरिका के साथ तनाव कम करने के लिए कदम उठाने के साथ ही चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने यहां चीन-सीईएलएसी (लैटिन अमेरिकी व कैरेबियाई देशों के समुदाय) फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि चीन विशुद्ध राजनीतिक तथा गुटीय टकराव की बढ़ती हुई स्थिति तथा एकतरफावाद एवं संरक्षणवाद की बढ़ती लहर से निपटने के लिए लैटिन देशों के साथ हाथ मिलाने को तैयार है। इस फोरम की शुरुआत 2015 में की गई थी।

उन्होंने कहा, ‘‘शुल्क युद्धों या व्यापार युद्धों से किसी की जीत नहीं होती।’’ चीन ने अमेरिकी शुल्कों को लेकर भी कई बार इसी तरह की बात कही है। फोरम में हिस्सा लेने वाले लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई अधिकारियों में ब्राजील, चिली और कोलंबिया के राष्ट्रपति शामिल हैं। शी ने चीन और लैटिन अमेरिकी देशों के बीच घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए राजनीतिक आदान-प्रदान, आर्थिक वृद्धि, सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक आदान-प्रदान और वैश्विक सुरक्षा पर केंद्रित पांच कार्यक्रमों की घोषणा की। उन्होंने इस क्षेत्र से आयात को बढ़ावा देने और चीनी कंपनियों को वहां अपना निवेश बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने का वादा किया। 

शी ने लैटिन अमेरिकी तथा कैरेबियाई वित्त पोषण का समर्थन करने के लिए 66 अरब युआन (9.2 अरब डॉलर) की नई ‘क्रेडिट लाइन’ की भी घोषणा की। चीन स्वच्छ ऊर्जा, 5जी दूरसंचार, डिजिटल अर्थव्यवस्था, कृत्रिम मेधा और वैश्विक सुरक्षा में भी सहयोग बढ़ाने की योजना बना रहा है। इस क्षेत्र के साथ चीन का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है, जो पिछले साल पहली बार 500 अरब डॉलर से अधिक हो गया। इस वृद्धि का एक बड़ा हिस्सा सोयाबीन तथा गोमांस सहित कृषि उत्पादों के बढ़ते चीनी आयात के साथ ही कच्चे तेल, लौह अयस्क तथा महत्वपूर्ण खनिजों जैसे ऊर्जा आयात से आया है। ‘बेल्ट एंड रोड पहल’ (बीआरआई) के माध्यम से इस क्षेत्र में चीन के निवेश में 5जी नेटवर्क स्थापित करना और बंदरगाहों और जलविद्युत संयंत्रों का निर्माण शामिल है। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने सोमवार को घोषणा की थी कि उनका देश औपचारिक रूप से बीआरआई में शामिल होगा। 
पनामा ने अमेरिका के दबाव में फरवरी में इस पहल से अलग होने का फैसला किया था। वह ऐसा करने वाला पहला लैटिन अमेरिकी देश है।

इस महीने की शुरुआत में, चीनी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता बीवाईडी और स्टेनलेस स्टील निर्माता त्सिंगशान ने घोषणा की कि वे लिथियम की गिरती कीमतों के कारण चिली में लिथियम कैथोड प्लांट बनाने की योजना पर आगे नहीं बढ़ेंगे। इसके अलावा चीन अगले तीन वर्षों में सालाना लैटिन अमेरिकी राजनीतिक दलों के 300 सदस्यों को चीन आमंत्रित करने और 3,500 सरकारी छात्रवृत्ति एवं विभिन्न प्रकार की अन्य आदान-प्रदान सुविधा प्रदान करने की योजना बना रहा है। शी ने कहा कि पांच लैटिन अमेरिकी देशों को चीन की यात्रा के लिए वीजा छूट मिलेगी। इसके बाद अन्य देशों को भी यह सुविधा दी जाएगी। हालांकि यह तुरंत स्पष्ट नहीं था कि कौन से देश वीजा मुक्त होंगे।

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