‘लैब टू लैंड नारे’ को साकार करेंगे कृषि विज्ञान केंद्र

download - 2022-09-07T120325.681
0 0
Read Time:6 Minute, 11 Second

लखनऊ: योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने में प्रचार की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। किसानों के लिए तो और भी। वर्षों पहले इसी मकसद से (लैब टू लैंड) का नारा दिया गया था। इसका उद्देश्य था कि देश-दुनियां में खेतीबाड़ी से जुड़े शोध संस्थानों में जो भी काम हो रहे हैं, वह सघन प्रचार-प्रसार के जरिए तुरंत किसानों तक पहुंचे, ताकि वे खेतीबाड़ी की बेहतरी से इसका लाभ उठा सकें। कृषि विज्ञान केंद्रों से भी यही अपेक्षा रही है। उप्र की योगी सरकार भी कृषि विज्ञान केन्द्रों बढ़ा रही है।

पांच साल में इन केंद्रों की संख्या 69 से बढ़कर 89 हुई

पहली बार योगी सरकार ने न केवल इनकी संख्या बढ़ाई बल्कि इनको स्थानीय किसानों के लिए मॉडल के रूप में विकसित करने का काम शुरू किया। आजादी के बाद से 2016-2017 तक प्रदेश में मात्र 69 कृषि विज्ञान केंद्र थे। योगी के कार्यकाल में इसमें 20 और जुड़ने से इनकी संख्या 89 हो गई। आज हर जिले में एक-एक कृषि विज्ञान केंद्र हैं। बड़े जिलों में एक से अधिक हैं। सरकार इनको मॉडल के रूप में विकसित करने के लिए पांच साल में 200 करोड़ रुपये खर्च करेगी। उल्लेखनीय है कि जिलों में बनाए गए इन केंद्रों में खेतीबाड़ी एवं पशुपालन से संबंधित एक्सपर्टस होते हैं। समय-समय पर आयोजित होने वाले किसान मेलों, किसान-वैज्ञानिक संवाद और अन्य तरीकों से वह किसानों को उन्नत खेती के तरीकों में साथ सामयिक फसलों की तैयारी से लेकर इनके संरक्षा एवं सुरक्षा के बाबत उपयोगी एवं अद्यतन जानकारी मुहैया कराते हैं।

कृषि विज्ञान केन्द्रों को मिल रहे पुरस्कार

पांच साल में योगी सरकार ने कृषि विज्ञान केंद्रों की संख्या 60 से बढ़ाकर 89 तक पहुंचा दी। आज हर जिले में एक केवीके (कृषि विज्ञान केंद्र) हैं। बड़े जिलों में एक से अधिक भी हैं। संख्या बढ़ाने के साथ योगी सरकार इनका कायाकल्प भी कर रही है। पूरा जोर इनकी गुणवत्ता बढ़ाने पर है। मुख्यमंत्री की मंशा है कि कृषि विज्ञान केन्द्र संबंधित जिले के कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेट रीजन) के अनुसार कृषि उत्पादन, उत्पादकता के लिए स्थानीय मॉडल केन्द्र के रूप में विकसित हों। ऐसा होने भी लगा है। हाल ही में प्रदेश के दो कृषि विज्ञान केंद्रों के गुणवत्ता को देश भर में सराहा गया। इस क्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र बस्ती को डिजिटल इनोवेशन के लिए आईसीएआर (इंडियन कॉउन्सिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च) द्वारा पुरस्कृत किया गया है। इसी तरह कृषि विज्ञान केन्द्र हैदरगढ़, (बाराबंकी) को आउटलुक एग्रीटेक समिट एण्ड अवार्ड-2022 के लिए चुना गया।

मेरठ में तीन दिन होगा इन केंद्रों के कामकाज और आगामी रणनीति पर मंथन

इन केंद्रों में गुणवत्ता को लेकर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो, इसके लिए प्रदेश के सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों, प्रभारियों के साथ 10 से 12 सितम्बर तक तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन होगा। यह आयोजना मेरठ के सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में होगा। इस कार्यशाला में सभी केंद्रों के एक वर्ष की प्रगति समीक्षा के साथ आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि हर कृषि विज्ञान केंद्र के पास पर्याप्त बुनियादी संरचना है। इनमें पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर भंडारण, कोल्डस्टोरेज और प्रसंस्करण इकाइयों की संभावना तलाशने का मुख्यमंत्री पहले ही निर्देश दे चुके हैं। इसीक्रम में कुछ केवीके में प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने का भी निर्देश दिया जा चुका है। काम को लेकर इन केंद्रों में स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा हो इसके लिए सरकार इनके मूल्यांकन की व्यवस्था भी कर रही है।

उल्लेखनीय है कि इन केवीके केंद्रों में से 25 नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अयोध्या, 15 चंद्रशेखर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर, 20 सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ, सात कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बांदा और 22 आईसीआर, बीएचयू, शियाट्स नैनी कृषि संस्थान एवं एनजीओ से संबंधित हैं।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

You may have missed

en_USEnglish