71वें संविधान दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा परिवारवाद देश के लिए संकट

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देहरादून: प्रधानमंत्री मोदी ने देश के 71वें संविधान दिवस के कार्यक्रम को प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधित किया। प्रधानमंत्री के भाषण की मुख्य चार बड़ी बातें रही: नेशन फर्स्ट, परिवारवाद, राजनीति में भ्रष्टाचार और अधिकार बनाम कर्तव्य।

नेशन फर्स्ट का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘नागरिकों की रक्षा की जिम्मेदारी निभाते हुए हमारे वीर जवानों ने मुंबई हमले के आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए अपना दिया बलिदान है। संविधान बनाते वक्त देशहित सबसे ऊपर था। अनेक बोलियों, पंथ और राजे-रजवाड़ों को संविधान के जरिए एक बंधन में बांधा गया। इसका मकसद था कि ऐसा करके देश को आगे बढ़ाया जाए। आज शायद हम संविधान का एक पेज भी पूरा न लिख पाते, क्योंकि राजनीति के चलते नेशन फर्स्ट और देशहित पीछे छूट जाता है।’

परिवारवाद पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक जाइए। भारत एक संकट की तरफ बढ़ रहा है और वो है पारिवारिक पार्टियां। पार्टी फॉर द फैमिली, पार्टी बाई द फैमिली… और अब आगे कहने की जरूरत नहीं लगती है। ये लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है। संविधान हमें जो कहता है, यह उसके विपरीत है। जब मैं कहता हूं कि पारिवारिक पार्टियां, तो मैं ये नहीं कहता कि परिवार के एक से ज्यादा लोग राजनीति में न आएं। योग्यता के आधार पर और जनता के आशीर्वाद से आएं। जो पार्टी पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही परिवार चलाता रहे, वो लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा संकट होता है।’ उन्होंने जापान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां भी पहले कुछ परिवारों का शासन था। बाद में किसी ने इसके खिलाफ बिगुल फूंका, आम लोगों को तैयार किया तो चीजें बदल गईं।

प्रधानमंत्री मोदी ने तीसरा बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार का उठाया। उन्होंने कहा, ‘क्या हमारा संविधान इसकी इजाजत देता है। कानून है, व्यवस्था है, लेकिन समस्या तब होती है जब भ्रष्टाचार के लिए किसी को न्यायपालिका ने सजा दे दी हो और राजनीति के कारण उनका महिमामंडन चलता रहे। जब राजनीतिक लाभ के लिए लोकलाज छोड़कर, मर्यादा छोड़कर उनका साथ दिया जाता है, तो लोगों को लगता है कि भ्रष्टाचार की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। उन्हें भी लगता है कि भ्रष्टाचार में चलना गलत नहीं है। भ्रष्टाचार के कारण गुनाह सिद्ध हुआ है तो सुधरने का मौका दिया जाए, लेकिन सार्वजनिक जीवन में प्रतिष्ठा देने की प्रतिस्पर्धा चल रही है, वह नए लोगों को लूटने के रास्ते पर जाने के लिए प्रेरित करती है।

अधिकार बनाम कर्तव्य पर मोदी ने कहा, ‘आज जरूरी है कि हम कर्तव्य के माध्यम से अधिकारों की रक्षा के रास्ते पर चलें। कर्तव्य वो पथ है जो अधिकार को सम्मान के साथ दूसरों को देता है। आज हमारे भीतर भी यही भाव जागे कि हम कर्तव्य पथ पर चलें। इसे जितनी ज्यादा मात्रा में निष्ठा से मानाएंगे, उससे सभी के अधिकारों की रक्षा होगी। जिन्होंने आजादी दिलाई, उनके सपनों को पूरा करने में हमें कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए। ये कार्यक्रम सरकार, दल या प्रधानमंत्री का नहीं। ये कार्यक्रम सदन का है, इस पवित्र जगह का है। स्पीकर और बाबा अंबेडकर की गरिमा है और हम इसे बनाए रखें।’

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