बैसाखी 2025: आज मनाया जा रहा है बैसाखी का त्योहार, जानें सिख धर्म के लिए क्यों खास है ये त्योहार

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बैसाखी 2025: बैसाखी का पर्व हर साल अप्रैल में पड़ता है, जो कि खासतौर पर उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से कृषि से जुड़ा है और नई फसल की कटाई की खुशी में मनाया जाता है. बैसाखी का पर्व सिख समुदाय के लिए बहुत ज्यादा महत्व रखता है, क्योंकि इसी दिन गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी| बैसाखी को आमतौर पर मेष संक्रांति भी कहा जाता है. यह दिन न सिर्फ किसानों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सिखों के लिए एक ऐतिहासिक और धार्मिक दिन भी माना जाता है. इस दिन लोग खुशी और समृद्धि की कामना करते हैं. साख ही, सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देते हैं. बैसाखी का पर्व भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण अवसर है|

मेष संक्रांति पर बैसाखी बैसाखी का पर्व हर साल मेष संक्रांति के दिन मनाया जाता है, जो कि आमतौर पर 13 या 14 अप्रैल को होती है. इस साल बैसाखी 13 अप्रैल 2025 को मनाई जा रही है. इस दिन की महत्ता किसानों के लिए बहुत ज्यादा होती है, क्योंकि यह नई फसल की बुवाई और कटाई का वक्त होता है| बैसाखी का धार्मिक महत्व बैसाखी का पर्व सिख धर्म के लोगों के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है. इस दिन सिखों के दसवें गुरु यानी गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. गुरु जी ने इस दिन सभी जातिगत भेदभावों को समाप्त कर एकता का संदेश दिया था. गुरु गोबिंद सिंह जी के नेतृत्व में खालसा पंथ की स्थापना ने समाज को एकजुट करने के लिए मजबूत कदम उठाया था| बैसाखी के अवसर पर सिख धर्मावलंबी गुरुद्वारों में विशेष अरदास करते हैं. इस दिन विशेष रूप से गुरुद्वारों में भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है और साथन ही नगर कीर्तन की परंपरा निभाई जाती है. इस दिन लोग अपने पवित्र कर्तव्यों को याद करने, गुरु के बताए मार्ग पर चलने और धर्म के प्रति अपनी आस्था को और गहरा करने का अवसर मानते हैं|

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