दून की 16 करोड़ी की डकैती में हाथ खाली, हरिद्वार की पांच करोड़ की डकैती के खुलासे का दावा

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देहरादून: दून में पड़ी 16 करोड की डकैती में पुलिस के दस माह बाद भी हाथ खाली है और पुलिस महानिदेशक हरिद्वार में हुई पांच करोड की डकैती का शीघ्र खुलासा करने का दावा कर रहे हैं। यह अपने आप में काफी सोचनीय विषय है।

उल्लेखनीय है कि नौ नवम्बर 2023 को सुबह साढे दस बजे हथियारबंद बदमाशों ने रिलायन्स के शोरूम में कर्मचारियों को बंधक बनाकर 16 करोड़ रूपये के जेवरातों की लूट की थी। राजपुर रोड पर सचिवालय के ठीक सामने हथियाबंद बदमाशों के द्वारा दिन दहाड़े डकैती की घटना को अंजाम देने की सूचना से पूरे शहर में सनसनी फैल गयी थी। बदमाशों ने घटना को भी उस दिन अंजाम दिया था जब पूरा प्रदेश अपनी सालगिरह मना रहा था। इस घटना के बाद पुलिस की कई टीमें बनायी गयी और बदमाशों को तो पकड लिया गया लेकिन बरामदगी के नाम पर पुलिस को कुछ नहीं मिला। उस डकैती की योजना बनाने वाला मास्टमाइंड बिहार की जेल में बंद है और उसने जेल में बैठेकृबैठे डकैती की योजना बनाकर इसको अंजाम दिलवाया था। इस मामले में दस माह बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। पुलिस अभी तक इस बात का पता नहीं लगा सकी कि लूटे गये जेवरात कहां पर है और उनका क्या हुआ।

अभी हाल में ही एक सितम्बर को दोपहर एक से डेढ बजे के बीच हरिद्वार के रानीपुर मोड पर हथियारबंद बदमाशों ने ज्वैलरी शॉप पर धावा बोलकर वहां से लगभग पांच करोड रूपये के जेवरात लूट लिये और वहां से बेखौफ चलते बने। यह डकैती पुलिस पिकेट के चंद कदमों की दूरी पर हुई थी लेकिन पुलिस को कुछ पता नहीं चला। जबकि इस दौरान बदमाशों ने फायरिंग भी की थी लेकिन गोली की आवाज पुलिस तक नहीं पहुंची। इस घटना ने भी लोगों को सन्न कर दिया। लोगों को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि प्रदेश में कानून व्यवस्था का नाम है कि नही। घटना के अगले दिन पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने हरिद्वार का दौरा किया और घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद उन्होंने घटना के खुलासे की जिम्मेदारी एसटीएफ को सौंपने के बाद दावा किया कि एसटीएफ शीघ्र घटना का खुलासा कर देगी। यहां सोचने वाली बात है कि दस माह पूर्व हुई 16 करोड़ की डकैती में पुलिस ने बदमाशों को पकडने का तो दावा किया लेकिन लूटे गये जेवरात आज तक बरामद नहीं कर सकी तो फिर पांच करोड की डकैती के मामले के खुलासे का दावा किस भरोसे पर किया जा रहा है यह अपने आप में सोचने का विषय है। अब देखने वाली बात है कि एसटीएफ पुलिस महानिदेशक के भरोसे पर खरी उतरती है या फिर दावा मात्र दावा बनकर रह जायेगा।

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