वेदों के ज्ञान के कारण ही भारतीय संस्कृति समृद्ध: मुख्यमंत्री धामी
हरिद्वार: मुख्यमंत्री ने रविवार को कनखल स्थित सूरत गिरि बंगले में महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान एवं वेदस्थली शोध संस्थान द्वारा आयोजित क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी संतों व विद्वानाें को वेदों के संरक्षण की दिशा में तत्परता से कार्य करने का आश्वासन देते हुए कहा कि वेद हमारी सनातन संस्कृति का आधार हैं। वेदों के कारण ही हमारी संस्कृति समद्ध और पूज्य है।
महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन के डा. विरूपाक्ष वी जड्डीपाल ने कहा कि आज वेदों की न्यूनता होती जा रही है। आज ऋग्वेद के विद्वान तो काफी है, किन्तु सामवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद के विद्वानों की संख्या काफी कम है। यूं कहें की कुछ ही विद्वान इन वेदों के शेष हैं। उन्होंने कहा कि वेदों की न्यूनता को हमें समाप्त करने के लिए इसका संरक्षण करना होगा, यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो हम अपनी संस्कृति का खो देगें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सूरत गिरि बंगला गिरिशानंदाश्रम के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने कहा कि कार्यक्रम में विद्वानों के मंथन से जो अमृत निकला है यदि हम इस पर अमल करें तो अपना ही नहीं समूचे विश्व का कल्याण कर सकते हैं। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी को साधुवाद दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री से वेदों के संरक्षण के लिए अचित कार्य करने की अपील की।
हरिद्वार सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि वेदों के ज्ञान के बिना हम अधूरे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने कार्य काल में वेदों और संस्कृत के संरक्षण के लिए तीन-तीन विश्व विद्यालयों को मान्यता दी। उन्होंने कहा कि इस दिशा में और कार्य किया जाएगा।
इस मौके पर महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानन्द गिरि महाराज, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज ललितानन्द गिरि महाराज, स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश, हरिद्वार सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, स्वामी विश्वस्वरूपानंद गिरि, स्वामी उमाकांतानंद गिरि, स्वामी कमलानंद गिरि, राहुल पाण्डेय, अमित पाठक, आचार्य शिवपूजन, बालकृष्ण त्रिपाठी, डॉ. दामोदर परगांई सहित अधिकारी तथा पदाधिकारी उपस्थित थे।