बिना जांच रिपोर्ट के नहीं कर सकेंगे चार धाम यात्रा, जांच रिपोर्ट के बाद ही मिलेगी एंट्रीः महाराज
-बीते साल कोरोना संक्रमण के कारण सिर्फ चार लाख के करीब ही श्रद्धालु आए
देहरादून: कोरोना के कारण बीते साल चारधाम की यात्रा महज एक औपचारिकता बनकर रह गई थी। देश व प्रदेश में एक बार फिर कोरोना के बढ़ते कहर ने इस विश्व विख्यात चार धाम यात्रा के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
महाकुंभ पर कोरोना का ग्रहण लगने के बाद अब इसी माह से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा पर भी इसका असर पड़ना तय हो गया है।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने अभी से यह साफ कर दिया है कि चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को कोरोना जांच रिपोर्ट लाने पर ही एंट्री मिल सकती है बिना कोविड जांच के किसी को भी चार धाम यात्रा पर नहीं जाने दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है बीते कल ही सतपाल महाराज द्वारा कहा गया था कि चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं से सख्ती से कोविडकृ19 का पालन कराया जाएगा। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ केंद्र की गाइडलाइन भी लागू होगी।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पहले जांच रिपोर्ट की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया था लेकिन जब कोरोना के मामले बढ़ते देखे तो 72 घंटे के अंदर कराई गई कोविड जांच रिपोर्ट साथ लाने की अनिवार्यता लागू कर दी। जिसके कारण कुंभ में इस बार वैसी भीड़ व चहल पहल नहीं दिख रही है।
कोविड की दूसरी लहर ने जिस तरह महाकुंभ की रौनक को फीका कर दिया है वैसे ही चारधाम यात्रा पर भी कोविड की छाया पड़ती दिख रही है।
चारधाम यात्रा में सीमित श्रद्धालुओं की अनुमति देने की बात तो पहले ही तय हो चुकी थी लेकिन अब जांच रिपोर्ट की अनिवार्यता इस बार चारधाम यात्रा को प्रभावित करेगी।
कोरोना के कारण राज्य का पर्यटन व्यवसाय बीते साल से ही ठप पड़ा है। चारधाम के लिए एडवांस बुकिंग कराने वाले श्रद्धालु अब नियम शर्तों और बढ़ते कोरोना के कारण कितनी संख्या में आते हैं यह समय ही बताएगा।
बीते साल कोरोना संक्रमण के कारण सिर्फ चार लाख के करीब ही श्रद्धालु आए थे। जबकि इससे पूर्व के साल में यह संख्या 32 लाख से अधिक रही थी।
पर्यटन व चारधाम यात्रा का हाल अगर बीते साल जैसा ही रहा तो यह राज्य के लिए आर्थिक तौर पर बड़ा झटका होगा।