किशोरों का मानसिक स्वस्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताः स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश: दुनिया भर में आज के दिन को ’विश्व किशोर मानसिक कल्याण दिवस (वर्ल्ड टीन मेंटल वेलनेस डे) के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य किशोरों और उनके परिवारजनों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करना ताकि वे मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक कल्याण के बारे में खुलकर बात कर सके।
भारत में वर्तमान समय में भी मानसिक अस्वस्थ्ता को गंभीरता से नहीं लिया जाता इसलिये विश्व किशोर मानसिक कल्याण दिवस पर कुछ ऐसे प्रयास किये जायें जिससे किशोरों के आत्मसम्मान, मानसिक स्वास्थ्य और आत्मविश्वास में वृद्धि हो तथा तनावपूर्ण घटनाओं को कम किया जा सके।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक कल्याण पर कार्य करना एक निरंतर चलने वाली यात्रा के समान है।
मानसिक रूप से स्वस्थ होने पर हम एक दूसरे को और बेहतर रूप से समझ सकते हैं। स्वामी जी ने कहा कि हमारे किशोरों का मानसिक स्वस्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिये क्योंकि वे इस दुनिया का भविष्य हैं। किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के लिये एक वैश्विक पहल के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति को भी इसके लिये जागरूक होना होगा।
यह प्रयास किशोरों का मानसिक कल्याण, उनका कॉन्फिडेंस बढ़ाने और मानसिक स्थिरता के लिये भी सहायक सिद्ध होगा। हमारा उद्देश्य यह होना चाहिये कि हम उन किशोरियों में विश्वास पैदा कर सकें जो कि नशे की गिरफ्त में हैंय जो किशोर अपना आत्म विश्वास खो चुके हैं और अपने तनाव को कम करने के लिये नशे का सहारा ले रहे हंै उनके मानसिक कल्याण के लिये उनसे प्रेम के साथ दीर्घकालिक संबंध स्थापित करने की जरूरत है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि 10 से 20 वर्ष के किशोरों केे मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की जरूरत हैं। अधिकांशतः 14 वर्ष की आयु में उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अधिक प्रभावित हो सकता हैं क्योंकि इस आयु में किशोरों को शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है, इसलिये उन्हें मानसिक स्वास्थ्य के विषय में जागरूक और अधिक संवेदनशील बनाना जरूरी हैं। कई बार गरीबी, हिंसा और दुर्व्यवहार के कारण भी मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
किशोरों में भावनात्मक विकारों के कारण अत्यधिक चिड़चिड़ापन, निराशा, क्रोध, मनोदशा में बदलाव होता है जो कई बार भावनात्मक विस्फोट के रूप में सामने आता है ऐसी स्थिति में वे मादक द्रव्यों के सेवन, यौन हिंसा और आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठा लेते हंै।
एक सर्वे के अनुसार 15 से 19 वर्ष के बीच के किशोरों में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण आत्महत्या है इसलिये किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के अनुसार, इस समय किशोर पीढ़ी का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर स्थिति में नहीं है उनके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने, आत्मसम्मान और विश्वास को बढ़ाने के लिये हमारी वर्तमान पीढ़ी को किशोरों के मानसिक कल्याण में सुधार हेतु कार्य करने की जरूरत है।