ऋषिगंगा झील इलाके से लौटी मॉनिटरिंग टीम

0 0
Read Time:4 Minute, 1 Second


देहरादून
चमोली आपदा के रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान ऋषिगंगा झील के मुहाने से जल स्तर बढ़ने और रिसाव की जानकारी सामने आई है।

12 फरवरी को  उत्तराखंड पुलिस की मॉनिटरिंग टीम रैणी गांव के ऊपर हिमालयी क्षेत्र में बनी झील के बारे में विस्तृत जानकारी जुटाने पैदल मार्गों से जलभराव क्षेत्र पहुंची। इससे पूर्व में ग्लेशियर सहित अन्य कारणों से अत्यधिक मात्रा में पानी यहां रुक गया था।

जिसके कारण आम जनमानस में भय का माहौल बना हुआ है।टीम झील की स्पष्ट स्थिति को समझने के लिए दुर्गम झील के पानी और मिट्टी, बर्फ के नमूने लेने के साथ ही फ्लड के जमे नमूने लेने इस क्षेत्र में पहुंची।

14 घंटे के लंबे दुर्गम सफर को पार कर टीम रात्रि में मौके पर पहुंची। ग्राउंड जीरो पर पहुंचते ही पानी के प्रेशर को कम करने के लिए झील के मुहाने को आइस एक्स के माध्यम से खोला गया।

वहीं वापसी के दौरान टीम के द्वारा बीहड़ वाले ग्लेशियर वाले स्थानों पर रोप में हुक भी बांधकर छोड़ दिया गया। ताकि अन्य आने वाली टीमों को यहां दिक्कतों का सामना न करना पड़े।  

शनिवार को एसडीआरएफ की 8 सदस्यीय टीम झील की सटीक जानकारियों के साथ वहां से एकत्र नमूनों सहित वापस तपोवन पहुंची।

यह प्रथम मॉनिटरिंग दल है जो पैदल मार्गों से जलभराव क्षेत्र तक पहुंची है। उत्तराखंड पुलिस बल के पास 30 सदस्यीय मॉनिटरिंग दल है।

जिसके आठ सदस्य कुशल पर्वतारोही हैं, जिन्होंने अनेक चर्चित चोटियों को फतह किया है। एसडीआरएफ के सेनानायक भी बेहतरीन पर्वतारोही हैं जो मिशन एवरेस्ट के डिप्टी लीडर रह चुके हैं।

ऋषिगंगा के मुहाने पर बनी झील के पानी से फिलहाल कोई खतरा नहीं है। लेकिन लगातार राज्य आपदा प्रतिवादन बल उत्तराखंड  सतर्क है। ऐसे में पैंग, तपोवन व रैणी गांव में एक-एक टीम तैनात की गई है। यह टीम दूरबीन, सैटेलाइट फोन व पीए सिस्टम से लैस हैं।

टीमें किसी भी आपातकालीन स्थिति में आसपास के गांव के साथ जोशीमठ तक के क्षेत्र को सतर्क कर देगी।
दूसरी ओर अगर किसी भी प्रकार से जल स्तर बढ़ता है, तो ये अर्ली वार्निंग एसडीआरएफ की टीमें तत्काल ही संभावित प्रभावित क्षेत्र को इसकी सूचना देंगी। इस अलर्ट सिस्टम से ऐसी स्थिति में नदी के आसपास के इलाकों को 5 से 7 मिनट में तुरंत खाली कराया जा सकता है।

दलों ने रैणी गांव से ऊपर के गांव के प्रधानों से भी समन्वय स्थापित किया है। ताकि जल्द ही दो तीन दिनों में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगा दिया जाए।

पानी का स्तर डेंजर लेवल पर पहुंचने पर आम जनमानस को सायरन के बजने से खतरे की सूचना मिल जाएगी। वहीं इस बारे में टीमें ग्रामीणों को जागरूक भी कर रही हैं।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %