उत्तराखंड के लोक कलाकार नंद लाल भारती को जौनसार बावर महासभा और उत्तरांचल प्रेस क्लब ने किया सम्मानित
देहरादून: जौनसार बावर के प्रसिद्ध लोक कलाकार डॉ. नंद लाल भारती को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का ‘कला सारथी’ पुरस्कार से सम्मानित होने पर उन्हें आज उत्तरांचल प्रेस क्लब में जौनसार बावर महासभा और प्रेस क्लब ने संयुक्त रूप से सम्मानित किया। यह पुरस्कार डॉ. भारती को 26 जनवरी को बैंगलोर (कर्नाटक) में 180 देशों के प्रतिनिधियों और करीब ढाई लाख लोगों की मौजूदगी ने दिया गया।
इस अवसर पर प्रेस क्लब सभागार में ‘प्रेस से मिलिए’ कार्यक्रम के तहत लोक सांस्कृतिक विषयों के साथ-साथ पत्रकारों ने बंधुआ मजदूरी जैसी समस्या पर सवाल खड़े किए। डॉ नंद लाल भारती ने कहा कि मौजूदा समय में जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में किसी भी प्रकार की बंधुआ मजदूरी नहीं है। इस कार्यक्रम में बैठे जौनसार बावर महासभा के अध्यक्ष मुन्ना राणा ने कहा कि वर्षों पूर्व इस समस्या का समाधान किया गया है। यदि ऐसी समस्या जौनसार बावर क्षेत्र में पुनर्जीवित होती है तो जौनसार बावर महासभा इसका निराकरण स्थानीय स्तर पर कर देगी। सवाल-जवाब के दौरान नंद लाल भारती से जाना गया कि लोक संस्कृति को लेकर इतने वर्षों से आपके कार्यक्रम जारी है। इसलिए वे भविष्य में क्या रणनीति होगी, उनका जवाब था कि वे गांव घर और व्यक्ति से यही अपेक्षा करेंगे कि लोग अपनी दुधमुंही भाषा का प्रयोग करें और लगातार करें। इसको जिंदा रखने के लिए पारंपरिक गीत और नृत्य प्रमुख आधार है। इसलिए वे पिछले 37 वर्षों से जौनसारी जनजातीय क्षेत्र के गीत और नृत्य को प्रस्तुत कर रहे है और करते रहेंगे। उन्होंने जानकारी दी कि कुछ ही माह बाद जौनसार बावर क्षेत्र की लोक भाषा का व्याकरण और शब्दावली सार्वजनिक होने वाली है जिस पर उनके क्षेत्र के दो आईपीएस आफिसर कार्य कर रहे हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रेस क्लब अध्यक्ष अजय राणा ने सभी का आभार जताया। कार्यक्रम में प्रेस क्लब वरिष्ठ उपाध्यक्ष रश्मि खत्री, कनिष्ठ उपाध्यक्ष दरवान सिंह, कार्यकारिणी सदस्य बीएस तोपवाल, मंगेश कुमार, भगवती कुकरेती, विनोद पुंडीर के साथ ही भारतीय दलित साहित्य अकादमी, उत्तराखंड के अध्यक्ष जयपाल सिंह, जौनसार बावर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम पंचोली, आनंद चैहान, डॉ. पूजा गौड, अनिल वर्मा, लोक कलाकार भगत सिंह राही, जौनसारी गायक भारू निराला, जौनसारी गायिका कृपा रांगटा आदि मौजूद थे।