आज मनाया जा रहा है रामायण रचनाकार वील्मीकि जयंती
माउंटेन वैली टुडे वेबडेस्क: आज देश भर में रामायण महा काव्य के रचनाकार महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती मनाई जा रही है। प्रत्येक वर्ष अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को महर्षि वाल्मीकि जी का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन देश भर में कई सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उनके जीवन से जुड़ी बातों को लोगों को पहुंचाया जाता है। पौराणिक किवदंतियों के अनुसार इनका जन्म प्रख्यात महर्षि कश्यप और देवी अदिति के 9वें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चारशिनी से हुआ था। य
ह किवदन्ती भी प्रचलित है कि नारद मुनि से भेंट होने से पहले वह डकैत थे। आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी यह कहानी और कब मनाई जाएगी वाल्मीकि जयंती। महर्षि बनने से पहले वाल्मीकि थे डकैत शास्त्रों के अनुसार महर्षि वाल्मीकि जी का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था। लेकिन वह युवावस्था में डकैत प्रवित्ति के हो गए थे और उन्होंने कई निर्दोष लोगों को मारा था और उन्हें लूट लिया था।
किन्तु जब उन्हें नारद मुनि के दर्शन हुए तो उनके व्यवहार और भावनाओं में विशाल अंतर आया। जिसके बाद उन्होंने राम भक्ति का पथ अपनाने का प्रण लिया। इस प्रवित्ति को बदलने के लिए उन्होंने कई वर्षों तक घोर तपस्या की जिसके बाद उन्हें वाल्मीकि की उपाधि प्राप्त हुई। उन्होंने नारद मुनि की देख-रेख में महाकाव्य रामायण की रचना कि जिसमें उन्होंने 24,000 श्लोक और साथ कांड लिखे थे।
महर्षि वाल्मीकि जी की यह कथा आज भी यह शिक्षा देती है कि अज्ञानता से पहले व्यक्ति ने जैसे भी कुकर्म किए हों, अगर वह सही समय पर और गुरु के सानिध्य में प्रयिश्चित कर लेता है तो वह भी विश्व में अपना और अपने कुल का नाम ऊंचा कर सकता है। इसी उद्देश्य को लेकर वाल्मीकि जयंती के दिन उनके जीवन की कथा सभी को सुनाई जाती है और व्यक्ति को बुरे कर्मों को छोड़कर भक्ति के मार्ग पर बिना किसी भय के चलने का संदेश दिया जाता है।