इक्कीसवीं शताब्दी का तीसरा दशक उत्तराखंड का : मुख्यमंत्री धामी

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देहरादून: मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की अपेक्षा के अनुसार आजादी के अमृत काल के लिए इक्कीसवीं शताब्दी का तीसरा दशक उत्तराखंड का होगा। इसके लिए राज्य सरकार अभी से आदर्श उत्तराखंड वर्ष 2025 को अपना मंत्र बनाकर योजना पर काम कर रही है। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की 7वीं बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग की ओर से हिमालयी राज्यों में यहां की इकोलॉजी, जनसंख्या धनत्व, फ्लोटिंग पॉपुलेशन व पर्यावरणीय संवेदनशीलता को देखते हुए ही विकास का मॉडल बनाया जाए। जो विज्ञान-प्रौद्योगिकी पर आधारित हो। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हिमालयी राज्यों के लिए एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया जाए और इसका आयोजन उत्तराखंड में करने के लिए आग्रह किया। मुख्यमंत्री धामी ने बैठक में उत्तराखंड राज्य के कुछ महत्वपूर्ण नीतिगत बिन्दुओं की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि केन्द्र पोषित योजनाओं के फॉरम्यूलेशन में राज्य की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ‘वन स्किम फिट्स ऑल’ के स्थान पर राज्य के अनुकूल ‘टेलर मेड स्किम्स’ तैयार करने पर भारत सरकार द्वारा विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। पर्यटन, हार्टीकल्चर और सगन्ध पौध आधारित योजनाओं से राज्य को अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा। जल धाराओं के पुनर्जीवीकरण के लिए एक वृहद कार्यक्रम हो। जिसमें चेक डैम एवं छोटे-छोटे जलाशय निर्माण सम्मिलित करने की प्रबल आवश्यकता है। इसमें भारत सरकार का तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग चाहिए होगा। उत्तराखंड सम्पूर्ण राष्ट्र को महत्वपूर्ण ईको सिस्टम सर्विस उपलब्ध करा रहा है। राज्यों के मध्य संसाधनों के आवंटन में इन पारिस्थितिकी सेवाओं को भी देखा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में फ्लोटिंग जनसंख्या का दबाव अवस्थापना सुविधाओं पर पड़ता है। इस वर्ष अब तक लगभग 30 लाख चारधाम यात्री तथा चार करोड़ से अधिक कांवड़ियों का आवागमन राज्य में हुआ है। राज्य की अधिकांश स्थानीय निकायों का आकार व उनके वित्तीय संसाधन काफी कम है। इसलिए केन्द्र सरकार की ओर से वित्तीय संसाधनों के हस्तांतरण में महत्वपूर्ण तथ्य को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 के बाद प्रधानमंत्री के उत्तराखंड प्रेम से सड़कों, रेलमार्गों, स्वास्थ्य सेवाओं एवं विभिन्न केन्द्र पोषित योजनाओं से उत्तरोत्तर प्रगति के ओर अग्रसर हैं। विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनाथ, केदारनाथ के मास्टर प्लान के अनुरूप पुनः निर्माण कार्य भी तीव्र गति से कराया जा रहा है। एसडीजी के लक्ष्यों को प्राप्त करने में उत्तराखंड अग्रणी राज्य रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कृषि विविधिकरण की अपार सम्भावनाएं हैं। मंडुआ, झिंगोरा, मादिरा, रामदाना, पर्वतीय दलहन जैसे गहथ, राजमा आदि और सगंध एवं औषधीय पौधों को निरन्तर बढ़ावा दिया जा रहा है। सेब व उच्च मूल्य वाले कीवी फल के क्षेत्रफल और खाद्य प्रसंस्करण क्षमता को विस्तारित किया जा रहा है। राज्य में 38,500 हैक्टेयर क्षेत्रफल में मिलेट एवं पौष्टिक अनाज फसलों का जैविक उत्पादन किया जा रहा है। राज्य से डेनमार्क को मिलेट का निर्यात प्रारम्भ किया गया है। 6400 हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्राकृतिक खेती के लिये क्लस्टर चयन की कार्यवाही पूर्ण कर ली गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिये उत्तराखंड राज्य संकल्पबद्ध है। उच्च शिक्षा में भी राज्य में शैक्षणिक सत्र 2022-23 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने राज्य के स्थानीय निकायों में जीआईएस और ड्रोन मैपिंग द्वारा सम्पत्ति की माप एवं गणना तथा मास्टर प्लान तैयार किये जा रहे हैं। राज्य द्वारा भारत सरकार की अपेक्षा अनुसार टीओडी (ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट) और टीडीआर (ट्रांसफेरेबल डेवलपमेंट राइट) पॉलिसी को अधिसूचित कर दिया गया है। उत्तराखंड में केदारनाथ, बद्रीनाथ एवं अन्य धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों पर तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों की अत्यधिक आवाजाही के कारण पार्किंग की गम्भीर समस्या रहती है। इसके समाधान के लिए पहाड़ों में अंडरग्राउंड,केविटी पार्किंग की शुरूआत की गयी है, जिससे बाहर से पहाड़,पेड़ कटान एवं पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होगा तथा पहाड़ के अन्दर केविटी बनाकर पार्किंग की स्थापना की जायेगी। राज्य के स्थानीय निकायों में भुगतान सुविधा ऑनलाइन उपलब्ध है। बैठक में उपाध्यक्ष नीति आयोग, केंद्र सरकार के मंत्रिगण, राज्यों के मुख्यमंत्री, उप-राज्यपाल और शासी परिषद के अन्य सदस्य उपस्थित थे।
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