दस मार्च से 17 मार्च तक रहेंगे होलाष्‍टक,इन दिनों में न करें शुभ काम, मिलता है अशुभ फल

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माउंटेन वैली टुडे: हर साल हमारे देश में होली का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. फाल्‍गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और उसके अगले दिन अबीर-गुलाल से होली खेली जाती है. इस साल 17 मार्च की रात को होलिका दहन होगा और 18 मार्च को होली का त्‍योहार मनाया जाएगा।इससे पहले 10 मार्च से 17 मार्च तक होलाष्टक रहेंगे। इन 8 दिनों के होलाष्‍टक के दौरान कुछ काम करने की मनाही होती है।

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक की अवधि को शास्त्रों में होलाष्टक कहा गया है. होलाष्टक शब्द दो शब्दों का संगम है। होली और आठ अर्थात 8 दिनों का पर्व. यह अवधि इस साल 10 मार्च से 17 मार्च तक अर्थात होलिका दहन तक है. इन होलाष्‍टक के दौरान गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, विवाह संबंधी बातें, सगाई-शादी, कोई नए काम की शुरुआत, नींव रखना, नया वाहन लेना, आभूषण खरीदना, नया व्यवसाय आरंभ करने जैसे शुभ-मांगलकि काम नहीं किए जाते हैं. इस समय में ये काम करना अशुभ फल देता है।

होलाष्‍टक में शुभ काम न करने को लेकर ज्‍योतिषाचार्य मदन गुप्‍ता सपाटू कहते हैं कि इसके पीछे ज्योतिषीय एवं पौराणिक दोनों ही कारण हैं. एक मान्यता के अनुसार कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी. इससे रुष्ट होकर उन्होंने प्रेम के देवता को फाल्गुन की अष्टमी तिथि के दिन ही भस्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी रति ने शिव की आराधना की और कामदेव को पुनर्जीवित करने की याचना की जो उन्होंने स्वीकार कर ली । महादेव के इस निर्णय के बाद जन साधारण ने हर्षोल्लास मनाया और होलाष्टक का अंत होलिका दहन के दिन हो गया। इस कारण यह 8 दिन शुभ कार्यों के लिए वर्जित माने गए।

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