लोगों की दास्तां बयां कर रहीं उनके मकानों पर बनीं यह दरारें

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जोशीमठ: पर्वतीय क्षेत्रों में सुकून की जिदंगी जीने वालों की विकास ने नींद उड़ा दी है। विकास की चाह किसको नहीं है लेकिन उसका खामियाजा अगर बेघर होकर चुकाना पड़े तो ऐसा विकास किस काम का। कुछ ऐसी ही शब्दों में बयां हो रही है जोशीमठ के लोगों की कहानी, जो सरकार से उन्हें न्याय दिलाने की गुहार लगा रही है।

इन दिनों जोशीमठ में भूचाल मचा हुआ है। जहां एक ओर विकास के नाम पर सरकार जोशीमठ में काम कर रही है, वहीं दूसरी ओर अपने बच्चों के साथ रह रहे कुछ परिवारों को आपदा के कारण पलायन करने को मजबूर होना पड़ गया हैं। लोगों का कहना है कि समय रहते प्रशासन इस समस्या से निपटने का उपाय करता तो शायद आज हजारों लोगों को अपने घरों को छोड़ यूं भागना नहीं पड़ता।

बता दें कि शहर के सबसे निचले हिस्से में बसी जेपी कॉलोनी में फूटे झरने में शहर के घरों की दीवारों के दरकने, जमीन फटने और सड़कों के धंसने का रहस्य छुपा है। ये जमीन के नीचे जमा पानी है जो शहर में बने घरों, होटलों, भवनों की बुनियाद को खोखला कर रहा है। हैरत की बात यह है कि तबाही के मुहाने पर सीढ़ीदार ढंग से बसे इस शहर में आज तक कोई सरकार ड्रेनेज सिस्टम का इंतजाम नहीं कर पाई।

बरसात का कुछ पानी ढलान पर बसे इस शहर में ऊपर से नीचे उतरता हुआ नीचे बह रही अलकनंदा नदी में मिल जाता है बाकी पानी शहर की उस धरती में रिसता रहता है जो ग्लेशियर से बहाकर लाए गए लूज वोल्डर और मिट्टी के मलबे से बनी है। आधुनिक टाउनशिप के रूप में बसी जेपी कालोनी में जब सब लोग गहरी नींद में सो रहे थे तब 2 व 3 जनवरी की रात अचानक एक झरना फूट पड़ा।

झरने का मटमैला पानी दिन रात लगातार बह रहा है। विशेषज्ञों की टीम हैरत में है कि इतनी तेज बहाव से झरना आखिर कहां से प्रकट हो गया? सैकड़ों गैलन बहता हुआ मटमैला पानी आखिर कहां से आ रहा है? ये पानी, किसी चौबीस घंटे चलने वाले ट्यूबवेल जैसा है जो पिछले करीब पांच दिन से लगातार जेपी कालोनी की दीवार तोड़ते हुए बदरीनाथ हाईवे के नीचे से खेत खलिहान पार करते हुए आगे अलकनंदा नदी तक बह रहा है।

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