भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में प्रकृति पूजन की परंपरा : डॉ आरबीएस रावत
जोशीमठ: श्री चंडी प्रसाद भट्ट पर्यावरण एवं विकास संस्थान गोपेश्वर के तत्वावधान में सामाजिक कार्यकर्ता और सर्वोदयी नेता स्वर्गीय चिरंजी लाल भट्ट स्मृति व्याख्यान का आयोजन स्थानीय राजकीय महाविद्यालय जोशीमठ में किया गया।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि पूर्व मुख्य वन संरक्षक उत्तराखंड आरबीएस रावत ने कहा कि भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में प्रकृति पूजन और संरक्षण की परंपरा रही है जो अति उपभोक्तावाद के इस समय में एक बड़ी प्रेरणा हो सकती है। उन्होंने प्रकृति के संकट काल में हिमालयवासी को सीमांत प्रहरी की भूमिका निभाने के आह्वान किया। संस्थान के मुख्य ट्रस्टी ओमप्रकाश भट्ट ने चिपको आंदोलन और समाज सुधार के दूसरे महत्वपूर्ण आंदोलनों में चिरंजी लाल भट्ट की भूमिका को रेखांकित किया।
वैज्ञानिक सीपी कुनियाल ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया और हिमालयी विकास पर उनके शोध और अनुभव का लाभ लेने का युवा पीढ़ी से आह्वान किया।
कार्यक्रम में विशेष जुड़े 90 वर्षीय वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता श्री मुरारी लाल ने चिपको आंदोलन से संबंधित अपनी जीवन यात्रा को याद किया और नई पीढ़ी से अपने समय की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार होने को कहा। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. खाली ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. जी. के. सेमवाल ने सबका आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर श्री चिरंजी लाल के सुपुत्र और सेवानिवृत्त अधिशासी अधिकारी शांति प्रसाद भट्ट, विनय सेमवाल, डॉ. चरणसिंह केदारखंडी, डॉ. सुमन सिंह ,डॉ. आनंद कुमार, डॉ.नंदन रावत, पवन कुमार, धीरेंद्र सिंह, रणजीत सिंह सहित दर्जनों लोगों उपस्थित रहे। विचार गोष्ठी का संचालन संस्कृत विभाग के प्राध्यापक नवीन पंत ने किया।