मैकलोड़गंज में तिब्बतियों ने मनाया अपना 62वां लोकतंत्र स्थापना दिवस

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धर्मशाला: धर्मशाला के मैकलोड़गंज स्थित मुख्य बौद्ध मठ चुगलाखंग में शुक्रवार को तिब्बतियों ने अपना 62वां लोकतंत्र स्थापना दिवस मनाया। इस दौरान निर्वासित तिब्बती सरकार ने कई कार्यक्रम भी आयोजित किए। लोकतंत्र स्थापना दिवस में धर्मशाला के विधायक विशाल नैहरिया ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की।

वहीं निर्वासित तिब्बती सरकार की कार्यकारी प्रधानमंत्री थरलम डोलमा ने तिब्बती लोकतंत्र दिवस के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया है कि तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने तिब्बत के लोगों, नेता व तिब्बती शासन प्रणाली को लोकतान्त्रिक बनाने के अपने लंबे समय से वांछित उद्देश्य को लागू करने की प्रक्रिया शुरू की है। दो फरवरी, 1960 को बौद्धों के प्रमुख तीर्थ स्थल बोधगया में जब तीनों प्रांत और भिन्न धार्मिक सम्प्रदाय के प्रतिनिधियों का सम्मेलन हुआ था, तब उसमें दलाईलामा ने आदेश-विचारों के साथ पूरी क्षमता के साथ निस्सन्देह होकर चलने की प्रतिज्ञा ली थी। उसी समय दलाईलामा ने पूर्व लंबित तीनों प्रांत और भिन्न धार्मिक संप्रदाय के अपने-अपने प्रतिनिधियों को बनाये जाने की आदेशानुसार सर्वप्रथम निर्वासन में तिब्बती सांसदों दलाईलामा की ओर हस्ताक्षरित स्थापित किये गये और दो सितंबर 1960 को कार्य के उत्तरादायित्व की शपथ लेने के बाद से तिब्बती लोकतन्त्र पर्व को मानते हुए अब तक 62 वर्ष पूरे हो गए हैं। इसी कारण आज का दिन सभी तिब्बतियों के लिये एक विशेष दिन बन जाता है।

तिब्बती सांसद दावा सेरिंग ने कहा कि निर्वासन में शरणार्थियों के रूप में रहने वाले लोगों के सभी समुदायों में तिब्बती समुदाय एक लोकतान्त्रिक व्यवस्था के तहत चलने वाले समुदाय के रूप में खड़ा है। तिब्बती लोकतन्त्र को उपभोग करते हुए अपने राष्ट्र के लिए संघर्ष, अपने पारम्परिक धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई विरासत आदि की संरक्षण करने वाले विशेष समाज के तौर पर पहचाना जाता है। इस प्रकार केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन की शासन प्रणाली वह है जो अपने कामकाज के सभी पहलुओं में पूरी तरह से लोकतान्त्रिक है। इस दुनिया में आज किसी भी अन्य वास्तविक लोकतान्त्रिक व्यवस्था के साथ बराबरी में खड़ा हो सके ऐसी विशेषताएं हैं। दलाई लामा द्वारा निर्धारित दीर्घकालिक दृष्टि और समय-समय पर उपदेश व मार्गदर्शन दिये जाने के कारण यह चमत्कारिक उपलब्धि पाई है। यह वास्तव में तिब्बती लोगों के लिये खुशी और गर्व का विषय रहा है। इस मौके पर टिपा से तिब्बती युवतियों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।

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