मुस्लिम फंड संचालक और दो प्रॉपर्टी डीलर गिरफ्तार, खाताधारकों के करोड़ों रुपये लेकर हुए थे फरार

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देहरादून: हरिद्वार में हजारों खाताधारकों के करोड़ों रुपये लेकर फरार हुए कबीर म्यूचुअल बेनिफिट निधि लिमिटेड (मुस्लिम फंड) संचालक अब्दुल रज्जाक और दो प्रॉपर्टी डीलरों को पुलिस व एसओजी की टीम ने गिरफ्तार कर लिया। दोनों प्रॉपर्टी डीलरों ने रज्जाक को एक पार्टी से मिलवाया था।

उनसे 100 करोड़ रुपये की विदेश से मदद मिलने के बाद इस काले धन को सफेद करने का सौदा तय हुआ था। वहीं एक हजार करोड़ रुपये के पुराने नोटों को भी बदलवाने का ठेका रज्जाक ने लिया था। इन दोनों कामों के लिए उसने पांच करोड़ रुपये की कमीशन मुस्लिम फंड के पैसों से दे दी थी। जब पैसा वापस नहीं मिला तो रज्जाक फरार हो गया। पुलिस तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया है।

शुक्रवार को रोशनाबाद पुलिस कार्यालय में मामले का खुलासा करते हुए नगर पुलिस अधीक्षक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि 21 जनवरी को कबीर म्यूचुअल बेनिफिट निधि लिमिटेड (मुस्लिम फंड) संचालक अब्दुल रज्जाक निवासी ग्राम सराय हजारों खाताधारकों की जमा रकम को लेकर फरार हो गया था। आरोपी के खिलाफ वसीम राव निवासी ग्राम इब्राहिमपुर थाना पथरी की शिकायत पर 2.81 लाख रुपये और अन्य हजारों खाताधारकों की जमा रकम लेकर फरार होने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था।

एसएसपी अजय सिंह के निर्देशन में छह टीमें आरोपी की धरपकड़ के साथ ही पूूरे मामले के पर्दाफाश के लिए लगाई गई थीं। बृहस्पतिवार को मुख्य आरोपी अब्दुल रज्जाक और उसके दो साथी नसीम उर्फ मुन्ना व मशरूर निवासी ग्राम सराय ज्वालापुर को हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया गया।

एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 1998 से अब्दुल रज्जाक मुस्लिम फंड संचालित कर रहा था। वर्ष 2020 में ही कबीर म्यूूचुअल बेनिफिट निधि लिमिटेड के रूप में कारपोरेट मंत्रालय से मान्यता ली थी। इसमें 13,382 खाते चालू मिले। 8716 खातों में 500 रुपये से कम राशि मिली। खाताधारकों की कुल 7.5 करोड़ की रकम जमा मिली। करीब 1.50 करोड़ रुपये अब्दुल रज्जाक ने लोगों का सोना गिरवी रखकर 12 फीसदी वार्षिक ब्याज पर दिया हुआ था।

सीओ ज्वालापुर निहारिका सेमवाल ने बताया कि मुस्लिम फंड में जमा धनराशि को लोग बिना ब्याज लिए जमा कराते थे। आरोपी रज्जाक और उसके साथी प्रोपर्टी की खरीद-फरोख्त कर इस पैसे को अपने निजी हित में लगाते थे। आरोपी वर्ष 2013 से मुस्लिम फंड में जमा कराई गई रकम को अपने साथी नसीम उर्फ मुन्ना और मशरूर की मदद से ज्वालापुर के आसपास प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त कर लाभ उठा रहा था। दोनों को अब्दुल रज्जाक के पास मुस्लिम फंड में अच्छी खासी रकम जमा होने की बात पता चल गई थी।

सीओ निहारिका सेमवाल के मुताबिक वर्ष 2020 में मशरूर और नसीम उर्फ मुन्ना ने रज्जाक को संभल निवासी अन्सार से मिलवाया। उसे बताया कि अंसार का साथी साजिद मुंबई में रहता है। उसका परिचित लंदन में रहता है जो अपने 100 करोड़ रुपये के काले धन को किसी पंजीकृत संस्था को दान देकर सफेद कराना चाहता है। उन्होंने झांसा दिया कि मुस्लिम फंड में ये रकम आने के बाद 80 करोड़ उसे वापस करने होंगे।

20 करोड़ उन्हें मिल जाएंगे। लगभग 8-10 करोड़ खर्च स्कूल आदि खोले लेंगे और कुछ सामाजिक कार्य करने के बाद बाकी रकम आपस में बांट लेंगे। इसके बाद रज्जाक ने साढ़े तीन करोड़ रुपये की कमीशन दे दी। वहीं एक हजार करोड़ रुपये की पुरानी करेंसी को बदलने के नाम पर भी रज्जाक ने दो करोड़ रुपये की कमीशन दी। कुल पांच करोड़ रुपये उसने आगे कमीशन के तौर पर दे दिए जो बाद में वापस नहीं मिले और वह फरार हो गया।

मामले के खुलासे के लिए छह टीमें अलग-अलग पहलुओं पर जांच करने के लिए बनाई गई थीं। इसमें ज्वालापुर कोतवाली प्रभारी आरके सकलानी, एसएसआई संतोष सेमवाल समेत 12 पुलिसकर्मी शामिल किए गए थे। तीन एसओजी के जवानों को खुलासे में लगाया गया था। एसपी सिटी और सीओ ज्वालापुर के नेतृत्व में छह टीमें अलग-अलग बिंदुओं पर जांच कर रही थीं।

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