वन अधिकारियों की मेहनत लायी रंग, वन्यजीवों की प्यास बुझाने के साथ जंगल की आग भी बुझा रहे जलस्रोत

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हरिद्वार: एक ओर राज्य के जंगलों में आग अपना तांडव दिखा रही है तो वहीं दूसरी ओर राज्य में कुछ वन क्षेत्र ऐसे भी है जहां के प्राकृतिक जल स्रोत का वैज्ञानिक तरीके से इस्तेमाल का फायदा वनाग्नि के इस दौर में हो रहा है।

राज्य में स्थित राजाजी टाइगर रिजर्व की कांसरो रेज में मौजूद प्राकृतिक जलधाराओं को अधिकारियों ने कड़ी मशक्कत के बाद बड़े-बड़े वाटर होल्स में बदल दिया है। ये वाटर होल्स जंहा इस गर्मी के दौर में वन्यजीवों की प्यास बुझा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर वनाग्नि से निपटने के लिए जलापूर्ति भी कर रहे हैं।

वनक्षेत्राधिकारी महेश प्रसाद सेमवाल के अनुसार इस क्षेत्र में प्राकृतिक जलस्रोत तो थे, मगर उससे निकलने वाले पानी को संचित करने की कोई व्यवस्था न थी। इसको लेकर भविष्य के लिए रणनीति तैयार कर धरातल पर कार्य किया गया। आज केवल कांसरो रेंज में ही 25 छोटे बड़े जलाशय तैयार कर लिए गए हैं। आगे भी और स्थानों पर कार्य किया जाएगा। जब से ये वॉटर होल्स तैयार हुए हैं, तब से ही उस क्षेत्र में मानव वन्यजीव संघर्ष में भी कमी आयी है।

कांसरो रेंज अपनी प्राकृतिक खूबसूरती व प्राकृतिक जल स्रोतों के लिए भी जानी जाती है। मगर इन जलस्रोतों से धीमी गति से निकलने वाले जलस्रोतों को संचय को लेकर पार्क निदेशक अखिलेश तिवारी द्वारा योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया गया। आज अन्य स्थानों पर भी वाटर होल्स बनाने पर मंथन किया जा रहा है। इन वॉटर होल्स का उपयोग वनाग्नि रोकने के लिए भी किया जाएगा। इसको लेकर वनाग्नि आपदा प्रबंधन के मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा भी यंहा का दौरा कर चुके है। रेंज में मौजूद तीन फायर क्रू स्टेशन व 25 छोटे बड़े वाटर होल्स वनाग्नि रोकने व वन्यजीव संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहे है।

कांसरो रेंज की टीम जिसने कठिन मेहनत से रेंज की सूरत बदली। उसमें गणेश बहुगुणा उप वन क्षेत्राधिकारी, टिम लीडर तिलक सिंह, वन दारोगा मोहन, शिवानी, कल्पना, सत्य काम, प्रदीप, वन दारोगा अमीरचंद शाह मुकेश गुप्ता, हरजिंदर सिंह कौर आदि शामिल रहे।

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