बन रहे पांच शुभ संयोग, जानें व्रत पूजन का विधान

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आज पौष कृष्ण द्वादशी है। पौष मास में दोनों पक्षों की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने का विधान है। पंडितों के अनुसार इस तिथि पर भगवान विष्णु के नारायण रूप की पूजा की जाती है।

इसलिए इसे सुरूप द्वादशी भी कहते हैं। ऐसा करने से महायज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है

वैष्णव अध्याय के तहत महाभारत के अश्वमेधिक पर्व में इसका उल्लेख है। इसी द्वादशी के बारे में भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था।

भगवान विष्णु की पूजा का विशेष दिन होने के कारण श्रीकृष्ण ने इस तिथि को पर्व कहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार पौष कृष्ण द्वादशी तिथि 20 दिसंबर मंगलवार को पूरे दिन रहेगी।

इस दिन ध्वजा से पहले स्वाति नक्षत्र और उसके बाद विशाखा नक्षत्र होने से श्रीवत्स नाम के दो शुभ योग बन रहे हैं। इनके अलावा इस दिन त्रिपुष्कर, सुकर्मा और धृति तीन अन्य शुभ योग भी हैं।

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