समन्वयवाद के संवाहक थे स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि: प्रेमचन्द अग्रवाल
हरिद्वार: भारत माता मंदिर के संस्थापक निवृत्त शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी महाराज की तृतीय पुण्यतिथि पर दो दिवसीय समारोह में आचार्य म.मं. स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज की अध्यक्षता व संस्था के सचिव आई.डी. शास्त्री के संयोजन में भजन संध्या व संत समागम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर श्रद्धाजंलि समारोह को सम्बोधित करते हुए शहरी विकास मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी महाराज समन्वयवाद के संवाहक थे। उन्होंने समूचे विश्व में सनातन संस्कृति व हिन्दुत्व की पताका फहरायी। धर्म प्रचार के साथ-साथ लोक कल्याण व राष्ट्रवाद को सशक्त बनाने के लिए उन्हांेने भारत माता मंदिर की स्थापना कर राष्ट्र की एकता, अखण्डता को मजबूत करने का कार्य किया।
जूना पीठाधीश्वर आचार्य म.मं. स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज ने कहा कि पूज्य गुरुदेव ने सदैव राष्ट्रीयता के भाव को अधिमान देते हुए धार्मिक संकल्पों को पूर्ण करने के साथ-साथ सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए वनवासियों, गिरिवासियों, आदिवासियों के लोक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण कार्य किये। उन्हांेने सुदूर क्षेत्रों में विद्यालयों व आश्रमों की स्थापना कर सनातन धर्म को अक्षुण्ण रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
स्वामी गोविन्ददेव गिरि महाराज ने कहा कि राम मंदिर आन्दोलन में पूज्य गुरुदेव की अग्रणीय भूमिका रही। आज उनका सत संकल्प पूर्णता की ओर अग्रसर है। अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण उन्हें सच्ची श्रद्धाजंलि है।
संस्था के प्रबंध न्यासी आई.डी. शास्त्री ने कहा कि पूज्य गुरुदेव द्वारा स्थापित सेवा प्रकल्पों को आचार्य म.मं. स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज द्वारा निर्बाध रूप से संचालित किया जा रहा है। पूज्य गुरुदेव के समाधि स्थल पर भव्य समाधि स्थल व संग्रहालय का निर्माण सभी श्रद्धालु व समन्वय परिवार को ऊर्जा प्रदान कर रहा है।