सलमान रुश्दी की हालत में सुधार, वेंटिलेटर हटाया गया

0 0
Read Time:5 Minute, 20 Second

वाशिंगटन: अमेरिका में जानलेवा हमले में जख्मी भारतीय मूल के बहुचर्चित लेखक सलमान रुश्दी (75) की हालत में तेजी से सुधार हो रहा है। रुश्दी को वेंटिलेटर से हटा दिया गया है। अब वे बातचीत कर सकते हैं। रुश्दी के एजेंट एंड्रयू वायली ने मीडिया को इससे अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन हमले की निंदा करते हुए रुश्दी के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना की है।

सलमान रुश्दी पर न्यूयार्क में शुक्रवार को दिन में करीब 10ः 47 बजे चाकू से हमला किया गया था। रुश्दी की गर्दन में गंभीर चोट आई है। घंटों की सर्जरी के बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। कुछ मीडिया रिपोर्ट में आशंका जताई गई थी कि सलमान को अपनी एक आंख खोनी पड़ सकती है। व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने अपने ट्वीट में कहा था कि उपन्यासकार सलमान रुश्दी पर हमला भयावह है। हम सभी उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे हैं।

रुश्दी के एजेंट एंड्रयू वायली ने कहा था कि सलमान के हाथ की नसों को गंभीर चोट पहुंची है। साथ ही उनके लीवर को भी भारी नुकसान हुआ है। न्यूयार्क पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सलमान रुश्दी पर हुए हमले का पूरा ब्यौरा देते हुए कहा था कि हमलावर की पहचान कर ली गई है। हमलावर हादी मटर फेयरव्यू, न्यू जर्सी का रहने वाला है।

उल्लेखनीय है कि सलमान रुश्दी को अपने विवादास्पद उपन्यास ‘द सैटेनिक वर्सेज’ की वजह से कई बार जानलेवा हमलों का सामना करना पड़ा है। पहले भी पश्चिमी न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान मंच पर उनपर हमला हो चुका है।

…जब ईरान ने जारी किया मौत का फतवाः ‘द सेटेनिक वर्सेज’ के बाजार में आने के बाद दुनिया भर में हंगामा हुआ था। इसके बाद ईरान से एक फतवा जारी हुआ था। ये फतवा था ईरान के धार्मिक नेता आयातोल्लाह खोमैनी का। इसमें कहा गया था कि इस उपन्यास के लेखक सलमान रुश्दी को मौत दी जाए। उल्लेखनीय है कि सलमान रुश्दी किताबों की दुनिया का वो चर्चित चेहरा है, जिसको पहचान की जरूरत नहीं। उनकी किताबें दुनियाभर में चर्चित हैं। भारतीय मूल के इस अंग्रेजी लेखक ने लिखने की शुरुआत 1975 में अपने पहले नॉवेल ‘ग्राइमस’ के साथ की थी। मगर मकबूलियत दूसरे नॉवेल ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रेन’ से मिली।

इसे 1981 में बुकर प्राइज मिल। वह 1983 में ‘बेस्ट ऑफ द बुकर्स’ पुरस्कार से सम्मानित किए गए। उन्होंने कई किताबें लिखीं। इनमें द जैगुअर स्माइल, द मूर्स लास्ट साई, द ग्राउंड बिनीथ हर फीट और शालीमार द क्लाउन खास हैं। मगर ‘द सेटेनिक वर्सेज’ ने उन्हें समूची दुनिया में अलग तरह की पहचान दी। 1988 में छपकर आए ‘द सेटेनिक वर्सेज’ उपन्यास के लिए रुश्दी पर पैगंबर मोहम्मद के अपमान का इलजाम लगा। कहा गया कि इस किताब का शीर्षक विवादित मुस्लिम परंपरा के बारे में है। यह उपन्यास कई देशों में प्रतिबंधित है।इस उपन्यास के जापानी अनुवादक हितोशी इगाराशी की हत्या की जा चुकी है। इटैलियन अनुवादक और नॉर्वे के प्रकाशक पर हमले हो चुके हैं। रुश्दी का पैदाइशी शहर मुंबई है। उन्होंने रग्बी स्कूल और किंग्स कॉलेज से पढ़ाई की। वो पिछले दो दशक से अमेरिका में रह रहे हैं। उन्हें साहित्य के क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ‘कम्पेनियन ऑफ ऑनर’ से नवाज चुकी हैं। इससे पहले यह पुरस्कार ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल, जॉन मेजर और विख्यात भौतिकशास्त्री स्टीफेन हॉकिंग को दिया जा चुका है।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %