खाली पड़े गांवो में 12 साल बाद लौटी रौनक, नंदामय हुई नीती घाटी

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चमोली : सीमांत जनपद चमोली की नीती घाटी इन दिनों लाता की मां नंदा के लोकोत्सव में डूबी हुई है। चारों ओर मां नंदा के जयकारों की गूंज सुनाई दे रही है। नीती घाटी के घर-गांवों की पगडंडी और चैक-चैबारे मां नंदा गीतों और जागरों से गुंजयमान हो रखी हैं। नंदा की देवरा यात्रा के बहाने 12 बरस बाद एक बार फिर से नीती घाटी में खासी चहल पहल देखने को मिल रही है।

गौरतलब है कि नीती घाटी की खुशहाली और सुख-समृद्धि के लिए प्रत्येक 12 साल में सिद्धपीठ चैसठ मुखी नंदा की देवरा यात्रा होती है। देवरा यात्रा में नीती घाटी के लोग मां नंदा को मायके बुलाकर विशेष पूजा-अर्चना कर मनोती मांगते है। इस बार यह आयोजन 13 साल बाद हो रहा है। छह सितंबर से देवरा यात्रा का शुभारंभ लाता गांव से हुआ था और विभिन्न पडावों से होते हुये 30 सितंबर को मां नंदा अपने सिद्धपीठ लाता मंदिर में विराजमान होंगी। देवरा यात्रा के दौरान लाता की चैसठ मुखी नंदा 24 दिनों तक 22 गांवों का भ्रमण करेगी। इस दौरान झेलम, मलारी, नीती गांव में मुखोटा नृत्य का आयोजन विशेष आकर्षण का केन्द्र रहेगा।

नीती घाटी में मां नंदा की देवरा यात्रा, लाता सुरांईठोटा, तोलमा, फागती, जुम्मा, कागा, द्रोणागिरी, गरपक, सेंगला, झेलम, कोषा, मलारी, कैलाशपुर, महरगांव, फरकिया गांव, गुरगुट्टी जलपान, बाम्पा, गमशाली, नीती, लौंग, सूकी और भल्लगांव में विश्राम करेंगी।

लोकोत्सव में डूबा नंदा का मायका

उत्तराखंड में हिमालय की अधिष्टात्री देवी माँ नंदा के लोकोत्सवों की अलग ही पहचान है। इन दिनों जनपद चमोली की सीमांत नीती घाटी में मां नंदा का मायका लोकोत्सव में डूबा हुआ है चारों ओर नंदा के जयकारों से नंदा का लोक गुंजयमान है। नंदा से मिलने और विदा करनें के लिए इन दिनों गांव की ध्याणी (शादी हुई बेटियां) आई हुई है। ध्याणियां गांवों में मां नंदा के पारम्परिक झुमेलो, चैंफुला, दांकुणी के गीतों और जागरों पर देर रात तक पारम्परिक लोकनृत्य करते दिखाई दे रहे है। जिससे नंदा का मायका लोकसंस्कृति के रंग में डूब गया है। हर गांव में मां नंदा की आगुवानी और आतिथ्य सत्कार में ग्रामीण कोई कमी नहीं छोड रहे हैं।

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