जाम से मुक्ति तभी संभव, जब स्कूल खुद करें छात्रों को लाने ले जाने का काम

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देहरादून: राजधानी देहरादून की यातायात व्यवस्था पर जब भी बात होती है तो राजधानी के स्कूलों को समस्या के मुख्य कारणों में लाकर खड़ा कर दिया जाता है। तमाम तरह के एक्सपेरीमेंट अब तक इस मुद्दे पर किये जाते रहे है। कभी स्कूलों की टाइमिंग बदली जाती है तो कभी अभिभावकों के चार पहिया वाहनों से बच्चों को स्कूल छोड़ने और लेने आने पर चर्चा होती रहती है। लेकिन इस समस्या को कोई समुचित समाधान नहीं निकाला जा सका है।

इसमें कोई संदेह की बात नहीं है कि राजधानी क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में स्कूल और अन्य शिक्षण संस्थान है। जिनमें लाखों की संख्या में पढ़ने वाले छात्रकृछात्राएं है जिनकी आवाजाही के समय शहरवासियों को घंटों-घंटो लम्बे जाम का सामना करना पड़ता है। अलग राज्य बनने के बाद तो इस समस्या ने इतना विकराल रूप ले लिया है कि भविष्य में क्या होगा इस पर सोचकर ही घबराहट होने लगती है। अलग राज्य और दून के अस्थायी राजधानी बनने के बाद शहर की आबादी के साथकृसाथ उसके क्षेत्रफल विस्तार और वाहनों की संख्या में भारी इजाफे ने इस समस्या को अति गम्भीर बना दिया है।

सवाल यह है कि इन स्कूलों को राजधानी क्षेत्र से बाहर तो शिफ्ट किया नहीं जा सकता है और न इन स्कूलों को बंद किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में सिर्फ इस समस्या का एक ही समाधान शेष बचता है कि इन छात्रों को पिकअप और ड्राप करने की जिम्मेदारी इन स्कूलों के प्रशासन पर ही डाली जाये और वह अपनी स्कूल बसों के माध्यम से यह काम स्वयं करें तथा उनकी पार्किगं व्यवस्था भी स्कूल प्रबन्धन खुद करे। यहीं नहीं निजी वाहनों से बच्चों का ड्राप और पिकअप की व्यवस्था को पूरी तरह से प्रतिबंध किया जाये?

जब कोई फार्मूला काम नही कर रहा है तो शासन-प्रशासन को इस फार्मूले पर काम करने से कोई दिक्क्त नहीं होनी चाहिए। इससे अभिभावकों को भी बच्चों को लाने ले जाने की समस्या से निजात मिल सकेगी और स्कूल खुलने और बंद होने के समय जो सड़को पर अभिभावकों के वाहनों की भीड़ लगती है, जो जाम का कारण बनती है उससे भी मुक्ति मिल जायेगी। अगर यह भी नहीं हो सकता है तो प्रशासन को सभी स्कूलों के आस पास ऐसी पार्किंग व्यवस्था विकसित करनी चाहिए जहां अभिभावक अपने वाहन पार्क कर सकें वह सड़क पर खड़े होकर इंतजार न करें।

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