राहुल की टिप्पणी और अडाणी मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा, कार्यवाही दो बजे तक स्थगित
नई दिल्ली: भारत के लोकतंत्र के बारे में लंदन में दिए गए बयान पर सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से माफी की मांग और कांग्रेस सहित कई अन्य विपक्षी दलों की ओर से अडाणी समूह से जुड़े मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने में सरकार की विफलता के मुद्दे पर हुए हंगामे की वजह से मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ ही देर बाद अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। उन्होंने बताया कि नियम 267 के तहत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कराने को लेकर उन्हें 11 नोटिस मिले हैं।
धनखड़ ने कहा कि उन्हें कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, रंजीत रंजन, कुमार केतकर, सैयद नासिर हुसैन, अमी याज्ञनिक, नीरज डांगी और जेबी मेथर हाशेम सहित कुछ अन्य सदस्यों से नियम 267 के तहत नोटिस मिले है। उन्होंने कहा कि इन नोटिस के जरिए, अडाणी समूह के खिलाफ लेखा धोखाधड़ी और शेयर बाजार में हेरफेर के आरोपों की जांच के लिए जेपीसी गठित करने में सरकार की विफलता पर चर्चा की मांग की गई है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के इलामारम करीम ने अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग करते हुए नोटिस दिया।
आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने अडाणी समूह से जुड़ी कंपनी द्वारा राजस्थान और महाराष्ट्र में बिजली वितरण में कथित अनियमितता किए जाने की जांच कराने की मांग पर चर्चा कराने का नोटिस दिया था। सभापति ने कहा कि संसद का उच्च सदन होने के नाते लोगों की अपेक्षा है कि यहां चर्चा और बहस हो। उन्होंने सदन के सुचारू संचालन में सदस्यों का सहयोग मांगा और सदन को अवगत कराया कि उन्होंने सभी नोटिस अस्वीकार दिए हैं।
इसके बाद विपक्षी सदस्य अपने स्थान पर खड़े हो गए और उन्होंने सभापति से विपक्ष के नेता को बोलने देने का अनुरोध किया। आसन से अनुमति मिलने के बाद अपनी बात रखने के लिए जैसे ही विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे अपने स्थान पर खड़े हुए, सत्ता पक्ष के सदस्यों ने ‘राहुल गांधी माफी मांगो’ के नारे शुरू कर दिए। सभापति धनखड़ ने सदस्यों से शांत रहने और कार्यवाही चलने देने की अपील की।
हंगामे के बीच ही, सभापति ने सदन में सभी दलों के नेताओं को 11.30 बजे अपने कक्ष में चर्चा के लिए आमंत्रित किया और सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। नियम 267 विपक्षी सांसदों को उच्च सदन में नियमित कामकाज को रोककर किसी ज्वलंत मुद्दे पर चर्चा करने के लिए लिखित नोटिस देने का अवसर देता है। संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत से ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा भारत के लोकतंत्र के बारे में लंदन में दिए गए बयान पर माफी मांगने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों के सदस्य अडाणी समूह से जुड़े मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने पर जोर दे रहे हैं।
विपक्ष और सत्ता पक्ष के हंगामे के कारण पिछले सप्ताह उच्च सदन में ना तो प्रश्नकाल और ना ही शून्यकाल हो सका था। इस दौरान कोई अन्य महत्वपूर्ण विधायी कामकाज भी नहीं हो सका। बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू हुआ है। यह छह अप्रैल तक प्रस्तावित है।