वन्यजीवों का संरक्षण हर व्यक्ति की जिम्मेदारीः राज्यपाल

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शिमला: राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि वन संपदा व वन्यप्राणियों के संरक्षण की जिम्मेदारी हम सब की और हर व्यक्ति को इस दिशा में अपना योगदान देने की आवश्यकता है।

राज्यपाल रविवार को यहां ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में हिमाचल प्रदेश वन विभाग के वन्यप्राणी प्रभाग द्वारा आयोजित 71वें वन्यप्राणी सप्ताह के समापन समारोह के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

इस मौके पर, राज्यपाल ने वन्य प्राणियों को गोद लेने की योजना के तहत प्रथम नागरिक के तौर पर विधिवत रूप से जुजुराणा को गोद लेकर समाज को सार्थक संदेश दिया।

उन्होंने कहा कि मानव के जीवन में वन्य प्राणियों का महत्व अधिक है। उन्होंने मौजूदा परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज हम यह सोच कर चल रहे हैं कि प्रकृति हमारे उपयोग के लिए है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में प्रकृति के साथ आगे बढ़ने की शिक्षा मिलती है। हमारी संस्कृति जन कल्याण की बात करती है जिसमें वन्य प्राणी भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि आत्मकेंद्रित होने की वजह से आज मानव स्वार्थी हो गया है। हमारे पूर्वजों ने जो सीख हमें दी उसे हम भूल रहे हैं। हमारी संस्कृति में पेड-पौधों और वन्य जीवों की पूजा करने की सीख दी जाती है क्योंकि हम सह-जीवन के अस्तित्व पर विश्वास करते हैं।

श्री आर्लेकर ने वन विभाग के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने वन्य प्राणी को गोद लेने जैसी योजना की सराहना की तथा कहा कि इस योजना को प्रदेश भर में लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने वन्यप्राणियों के प्रति जागरूकता लाने पर बल दिया तथा कहा कि हर व्यक्ति को इस अभियान से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने जंगलों मेें लगने वाली आग पर चिंता व्यक्ति की। उन्होंने कहा कि जो पौधारोपण हम करते हैं वह अगले वर्ष भी दिखाई देने चाहिए तभी पौधारोपण का महत्व बनता है। उन्होंने प्रदेश के हरित आवरण को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।

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