हिमाचल में गौ-अभ्यरण्यों से 20 हजार मवेशियों को मिला संरक्षण

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धर्मशाला: ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि गौ सेवा से बड़ी सेवा कोई नहीं है। हिमाचल प्रदेश के लिए बेसहारा पशु एक बहुत बड़ी समस्या बन गए थे तथा इसी सोच के कारण सरकार ने यह निर्णय लिया कि हिमाचल प्रदेश में गौ-अभ्यरण्यों का निर्माण किया जाए।

इसी सोच को साकार रूप देते हुए सरकार ने आवारा पशुओं को रहने के लिए गौ-अभ्यरण्यों का निर्माण किया जा रहा है। ऐसे पशुओं को रहने के लिए एक ऐसी जगह उपलब्ध करवाई जा रही है जहां उन्हें रहने के साथ-साथ पीने का पानी तथा खाने के लिए घास की व्यवस्था है। वीरेंद्र कंवर ने कहा कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में काउ सेंचुरी के माध्यम से करीब 20 हजार मवेशियों का संरक्षण किया गया है।

ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने रविवार को जयसिंहपुर उपमंडल के कंगैहण में एक करोड़ साठ लाख से निर्मित काऊ सेंचुरी के शुभारंभ के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि इस काउ सैंचुरी में प्रारंभिक तौर पर 450 गौवंश के संरक्षण की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि जनवरी माह में कांगड़ा जिला के लुथान में गौ अभ्यारण्य का शुभारंभ किया गया है जिस पर करीब तीन करोड़ 96 लाख की राशि व्यय की गई है। लुथान में एक हजार गायों को रखने की क्षमता है।

पंचायती राज मंत्री ने कहा कि सुलह के नागणी में भी एक करोड़ 17 लाख की लागत से काउ सेंचुरी निर्मित की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गौ सदनों को प्रति गाय 500 रुपये प्रति माह प्रदान कर रही है ताकि उनके लिए चारे की उचित व्यवस्था की जा सके। उन्होंने राज्य के लोगों से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया कि मवेशियों को बेसहारा नही छोड़ें और यदि कोई मवेशियों को सड़क पर घूमते हुए देखता है, तो उसे गौ अभ्यारण्यों और गौ सदनों में भेजा जाना चाहिए।

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