राजस्थान में सियासी संकट: प्रेशर पॉलिटिक्स का असर, गहलोत समर्थक विधायकों से आज फिर बात कर सकते हैं पर्यवेक्षक
जयपुर: राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर सियासी भूचाल आया हुआ है। पार्टी में करीब सवा दो साल बाद दोबारा बगावती तेवर देखने को मिल रहे हैं। लेकिन इस बार पायलट की जगह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थक विधायक बागी तेवर दिखा रहे हैं। सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की संभावनाओं को देखते हुए गहलोत समर्थक विधायकों ने कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
रविवार देर रात तक मुख्यमंत्री आवास और उसके पांच सौ मीटर के दायरे में चले इस सियासी ड्रामे के बीच विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करके करीब नब्बे विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को इस्तीफे सौंपकर गहलोत को सीएम पद से नहीं हटाए जाने के लिए आलाकमान पर दबाव डालने की कोशिश की। अब ये विधायक सोमवार को भी स्पीकर से मिलकर इस्तीफे मंजूर करने का मुद्दा रखेंगे। इस बार सचिन पायलट और उनके समर्थक शांत हैं लेकिन गहलोत समर्थक विधायक अब आरपार के मूड में हैं।
चुनावी साल से ठीक एक साल पहले कांग्रेस में एक बार फिर नेताओं के टकराव के हालात बन रहे हैं। पार्टी में अब गहलोत और पायलट कैंप की लड़ाई फिर खुलकर सामने आएगी। गहलोत समर्थक विधायकों ने नया सीएम चुनने के लिए रायशुमारी बैठक का बहिष्कार करके कांग्रेस हाईकमान को खुली चुनौती दे दी है। गहलोत समर्थकों के तेवर अब भी बरकरार हैं।
गहलोत समर्थक विधायकों के इस अप्रत्याशित कदम के बीच नए सीएम के चयन के लिए पर्यवेक्षक बनकर आए मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन सोमवार को भी जयपुर में रहकर विवाद को सुलझाने का प्रयास करेंगे। माकन और खड़गे इस बात का प्रयास कर रहे हैं कि सीएम के चयन का अधिकार हाईकमान पर छोड़ने का प्रस्ताव पारित हो जाए, लेकिन गहलोत समर्थक विधायक अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव 19 अक्टूबर तक किसी बैठक में आने को तैयार नहीं हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नामांकन भरने की तैयारियों के बीच भावी मुख्यमंत्री के लिए रस्साकशी चल रही है। गहलोत की जगह नये मुख्यमंत्री के रूप में हाईकमान की पसंद सचिन पायलट हैं, लेकिन गहलोत खेमा पायलट के नाम पर नाराज है। आलाकमान की पसंद पायलट का नाम सामने आने के बाद कांग्रेस विधायक दल की बैठक से पहले ही गहलोत गुट के करीब 90 विधायकों के विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को इस्तीफे सौंपने की सूचना मिली।
रविवार देर शाम संसदीय कार्य मंत्री और गहलोत के कट्टर समर्थक शांति धारीवाल के बैठक के बाद करीब नब्बे विधायक विधानसभा अध्यक्ष डॉ जोशी के निवास पहुंचे और उन्हें सामूहिक इस्तीफे सौंपे। कांग्रेस प्रवक्ता और मंत्री प्रताप सिंह खाचरियास ने इस दावे की पुष्टि की। उधर, मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित विधायक दल की बैठक में गहलोत समर्थक विधायक नहीं पहुंचे तो बैठक को रद्द को करना पड़ा।
इस्तीफे के बाद देर रात गहलोत समर्थक मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी, बीडी कल्ला और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने अजय माकन से मिलकर डिमांड रखी। माकन ने तर्क दिया कि विधायक बेवजह नाराज हो रहे हैं। पर्यवेक्षक तो केवल सीएम चयन का अधिकार हाईकमान पर छोड़ने का प्रस्ताव पारित करवाने आए हैं, किसी खास नेता को सीएम बनाने हम नहीं आए हैं। इस पर प्रतिनिधिमंडल में शामिल मंत्रियों ने प्रभारी से दो टूक कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने तक कोई बैठक नहीं होगी और गहलोत से पूछे बिना कोई सीएम का फैसला नहीं होगा। इसे सचिन पायलट को सीएम नहीं बनने देने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। यहां तक कि गहलोत समर्थक विधायक अब अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नामांकन करने के भी पक्ष में नहीं हैं।
शांति धारीवाल और स्पीकर सीपी जोशी के घर बैठकों में विधायकों ने गहलोत को राजस्थान का सीएम बनाए रखने की पैरवी की। साथ ही विधायकों ने गहलोत के अध्यक्ष पर नामांकन भरने के विचार को ही टालने का सुझाव दिया।
गहलोत समर्थक विधायक और मंत्री इस बात से नाराज हैं कि गहलोत को विश्वास में लिए बिना आनन-फानन में नए सीएम के चयन के लिए बैठक बुलाई गई। जब सीएम चयन का फैसला करने के लिए अचानक विधायक दल की बैठक बुलाई गई तो विधायक नाराज हो गए। सीएम के लिए पायलट का नाम हाईकमान की तरफ से फाइनल होने की सूचनाओं से नाराजगी और बढ़ गई। अब विवाद शांत होने के बाद ही विधायक दल की बैठक के आसार हैं।
इस बीच देर रात मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने दावा किया कि हमारे पास 92 विधायक हैं। हमारी एक ही मांग है कि बगावत करने वाले लोगों में से सीएम न बनाया जाए। इस्तीफे के घटनाक्रम के शांत होने के बाद देर रात सीएम हाउस पर बैठक हुई। बैठक में राजस्थान प्रभारी व ऑब्जर्वर अजय माकन, मल्लिकार्जुन खड़गे, गहलोत, पायलट, रघु शर्मा और कुछ वरिष्ठ मंत्री मौजूद रहे। गहलोत खेमे के विधायकों को मनाने और उनकी बात सुनने पर चर्चा की गई। खड़गे और माकन के सामने अशोक गहलोत के गुट ने तीन बिंदुओं का प्रस्ताव रखा है।
गहलोत गुट का कहना है कि नया सीएम सरकार बचाने वाले 102 विधायकों में से ही होना चाहिए, यानी सचिन पायलट को सीएम न बनाया जाए। इसके साथ ही नए सीएम की घोषणा 19 अक्टूबर को अध्यक्ष के चुनाव के बाद की जाए और गहलोत की पसंद का ही मुख्यमंत्री बनाया जाए।
पार्टी सूत्रों के अनुसार गहलोत समर्थक विधायकों के बागी तेवरों से अब नए सीएम के चयन और कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के नामांकन पर भी असर पड़ सकता है। गहलोत समर्थक विधायकों के तेवरों के बाद अब अध्यक्ष चुनाव के नामांकन पर भी संशय है। इस पूरे घटनाक्रम से सीएम की छवि पर भी असर होगा।
इनसे पहले सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ विधायक दल की बैठक के लिए मुख्यमंत्री निवास पहुंचे थे लेकिन देर रात बैठक नहीं होने की स्थिति में वे वहां से चले गए। इसके पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश प्रभारी अजय माकन और ऑब्जर्वर मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने होटल पहुंचे। छोटी-सी मुलाकात के बाद तीनों मुख्यमंत्री निवास पहुंचे लेकिन कई विधायकों के नहीं पहुंचने से बैठक रद्द हो गई।
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी में जारी खींचतान के बीच भाजपा ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। इसी क्रम में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने ट्वीट कर लिखा है कि ‘रुझान आने प्रारंभ, जय भाजपा-तय भाजपा।’
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी ट्वीट कर सीएम गहलोत से इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने लिखा कि ‘राजस्थान में मौजूदा राजनीतिक हालात राष्ट्रपति शासन की ओर इशारा कर रहे हैं। मुख्यमंत्रीजी, आप नाटक क्यों कर रहे हो? मंत्रिमंडल के इस्तीफे के बाद अब देरी कैसी? आप भी इस्तीफा दे दीजिए।
इसके अलावा केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी ट्वीट कर लिखा कि ‘बाड़ेबंदी की सरकार एक बार फिर बाड़े में जाने को तैयार।’ प्रदेश में ऐसी ही परिस्थितियां रही तो विधायकों की एक बार फिर बाड़ाबंदी हो सकती है।