अनशन पर बैठे उक्रांद नेताओं को पुलिस ने किया गिरफ्तार, सख्त भू कानून की कर रहे थे मांग

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देहरादून:  उत्तराखण्ड में भू कानून को लेकर अब तक सोशल मीडिया के जरिए उठ रही आवाज को अब उत्तराखण्ड क्रांति दल ने धरातल पर उतार दिया है। उक्रांद ने भू कानून की मांग को लेकर राजधानी में आमरण अनशन शुरू कर दिया। हालांकि दोपहर बाद पुलिस ने अचानक अनशन स्थल पर पहुंच कर उक्रांद नेताओं को वहां से उठाने का प्रयास किया जिस पर उनकी पुलिस से जमकर नोंक झोंक हुई जिसके बाद पुलिस ने उक्रांद नेताओं को गिरफ्तार कर लिया।

आज घंटाघर के समीप स्थित स्व. इंद्रमणि बड़ोनी की प्रतिमा के समक्ष उक्रांद के कर्णप्रयाग विधानसभा के उम्मीदवार उमेश खंडूरी ने भू कानून को लेकर आज से आमरण अनशन प्रारंभ कर दिया है। इस दौरान उक्रांद नेताओं ने कहा कि भू कानून को लेकर उत्तराखण्ड क्रांति दल सड़क से सदन तक संघर्ष करेगा। सरकार को उत्तराखण्ड में भू कानून बनाना ही होगा तभी राज्य के लोगों की जमीनें बच सकेंगी। कहा कि जब तक उक्रांद राज्य में है तब तक लोगों की आवाज को कोई नहीं दबा सकता है। नये सशक्त भूकानून को नहीं बनवा देते तब तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा।

हांलाकि दोपहर बाद अनशन स्थल पर पहुंच कर उक्रांद नेताओं को वहां से हटाने का प्रयास किया जिस पर उनकी पुलिस से हल्की नोक झोंक हुई जिसके बाद पुलिस ने उक्रांद नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

आमरण अनशन के समर्थन में उक्रांद खेल प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष विरेन्द्र सिंह रावत, जिलाध्यक्ष दीपक रावत, केंद्रीय महा मंती जय प्रकाश उपाध्याय, महिला अध्यक्ष प्रमिला रावत, युवा केंद्रीय अध्यक्ष राजेंद्र बिष्ट, सुमेश बुढ़ाकोटी उत्तराखंड जिला संयोजक, रायपुर उम्मीदवार अनिल डोभाल, मण्डल अध्यक्ष संजय बहुगुणा, सलोचना ईस्टवाल महिला जिलाध्यक्ष, सविता श्रीवास्तव, कमल कांत, दीपक मधवाल महा मंत्री, अभिषेक बहुगुणा, मीनाक्षी घिन्डीयाल गढ़वाल मण्डल प्रभारी, सुलोचना रावत पूर्व संरक्षक, सरोज रावत, मीनाक्षी सिंह, सुरेंद्र राणा, किरन रावत कार्यकारी महिला अध्यक्ष आदि शामिल रहे।

उत्तराखण्ड क्रांति दल के भू कानून की मांग को लेकर शुरू किए गये आमरण अनशन को लेकर पुलिस प्रशासन भी हरकत में आ गया। दल के नेताओं ने आमरण अनशन के लिए स्व. बड़ोनी की प्रतिमा के समक्ष टैंट लगाया लेकिन पुलिस ने आ कर इस टैंट को हटवा दिया। पुलिस ने उक्रांद नेताओं को वहां टैंट नहीं लगाने दिया गया और उनसे कहा गया कि वे वहां पर धरना नहीं दे सकते हैं। जबकि उक्रांद नेताओं का कहना था कि उन्होंने धरने के लिए प्रशासन से अनुमति ले रखी है।

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