“रेडियो हिमालय” की रूपरेखा तय करने को हुआ कार्यशाला का आयोजन
देहरादून: “सयुंक्त रास्ट्र सतत विकास लक्ष्य” विषय को लेकर उत्तराखंड राज्य के सन्दर्भ में, जन-जागरूकता एवं समुदायों की भागेदारी हेतु इंस्टिट्यूट फॉर डेवलपमेंट सपोर्ट (आई.डी. एस.) “रेडियो हिमालय” परियोजना का क्रियान्वयन“ गोविन्द बल्लभ पंत रास्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान” के सहयोग से किया जा रहा है। “रेडियो हिमालय” परियोजना के तहत 15 मिनट अवधि के 24 रेडियो एपिसोड का प्रसारण आकाशवाणी केंद्र देहरादून (100.5 मेघा हर्टज) के माध्यम से आगामी माह में पाक्षिक रूप में किया जायेगा। संधारणीय विकास लक्ष्य भविष्य के अंतरराष्ट्रीय विकास संबंधित लक्ष्यों के सेट हैं। संधारणीय विकास के लिए उनको संयुक्त राष्ट्र द्वारा बनाया गया है और वैश्विक लक्ष्यों के समान प्रचारित किया गया है। 2015 के अंत में सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों के निरस्त हो जाने पर ये उनको प्रतिस्थापित कर रहे हैं। यह लक्ष्य 2015 से 2030 तक चलेगा। उन लक्ष्यों के लिए 17 लक्ष्य और 169 विशिष्ट लक्ष्य हैं।
“सयुंक्त रास्ट्र सतत विकास लक्ष्य” विषय को लेकर उत्तराखंड राज्य के सन्दर्भ में, जन-जागरूकता एवं समुदायों की भागेदारी एवं “रेडियो हिमालय” की रूपरेखा तय करने हेतु दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। रेडियो हिमालय के संकल्पनाकर जयप्रकाश पंवार ने रेडियो हिमालय की परिकल्पना को प्रस्तुत करते हुए बताया कि, उत्तराखंड राज्य में सयुंक्त रास्ट्र सतत विकास लक्ष्य को लेकर रेडियो के माध्यम से जन जागरूकता फ़ैलाने का यह अपनी तरह का अनोखा कार्य होगा, जिसके तहत पूरे एक साल तक 15 मिनट अवधि का पाक्षिक रेडियो कार्यक्रम प्रसारित किया जायेगा। अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय, उत्तराखंड सरकार के अपर निदेशक डॉ. मनोज पंत ने सयुंक्त रास्ट्र सतत विकास लक्ष्य को लेकर विस्तृत प्रस्तुति देकर बताया कि लक्ष्यों की प्राप्ति में उत्तराखंड ने अन्य प्रदेशों की अपेक्षा अच्छी प्रगति की है लेकिन अभी भी बहुत कार्य किये जाने की जरुरत है. पहाड़ी भौगोलिक परिस्थितियों के कारण चुनौतियाँ बनी हुई है. डॉ. पन्त ने बताया कि बिना जन भागेदारी के यह संभव नहीं है, रेडियो हिमालय इसमें बड़ी भूमिका निभाएगा।
आकाशवाणी देहरादून के अपर निदेशक कार्यक्रम अनिल भारती ने रेडियो की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, आकाशवाणी देश का सबसे बड़ा रेडियो प्रसारक है. उन्होंने कहा की नई डिजिटल तकनीकी ने रेडियो का स्वरुप बदल कर अब इसे बड़ा लोकप्रिय माध्यम बना दिया है. अनिल भारती ने बताया की आकाशवाणी से प्रसारित कार्यक्रम ऑनलाइन स्ट्रीमिंग के माध्यम से पूरी दुनिया में सुने जा रहे है। कार्यशाला के प्रथम सत्र की अद्य्क्षता करते हुए गीता गैरोला ने कहा कि रडियो हिमालय समय की मांग के अनुसार सयुंक्त रास्ट्र सतत विकास लक्ष्य को लेकर उत्तराखंड राज्य सहित अन्य पडोसी राज्य के लोगों को भी जागरूक करने का कार्य करेगा. इस सत्र के पूर्व में आयोजक संस्था के अध्यक्ष देवेन्द्र बूढ़ाकोटी ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। कार्यशाला के दूसरे खुले सत्र में विस्तृत रूप से 17 सयुंक्त रास्ट्र सतत विकास लक्ष्यों पर प्रतिभागियों ने अपने महत्वपूर्ण सुझाव रखे. सभी प्रतिभागियों का मानना था कि हिमालय रेडियो के कार्यक्रम, सहज व सरल भाषा में बनाये जाए जिससे श्रोता अपना जुड़ाव महसूस कर सके. कार्यक्रम सतत विकास लक्ष्यों को रुचिपूर्ण तरीके से प्रस्तुत कर सके, प्रतिभागियों का यह भी सुझाव था कि सतत विकास लक्ष्यों को रेडियो झलकियों, नाटकों व जिंगल के माध्यम से रुचिपूर्ण बनाया जा सकता है. इस सत्र के सुगमकर्ता की भूमिका भरत पटवाल ने निभाई.
दूसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए हार्क के संस्थापक महेंद्र कुंवर ने कहा कि समाज के अधिकतर वर्ग तक पहुँचने व उन तक उनके विकास की सूचनाएं पहुंचाने में रेडियो की बड़ी भूमिका है. रेडियो हिमालय राज्य के विकास को लेकर समाज में जन जागरूकता व सूचनाएं फ़ैलाने का काम करेगा. कार्यक्रम में जनकवि डॉ. अतुल शर्मा ने नदी तू बहती रहना का कविता पाठ किया, वहीँ प्रसिद्ध लोक गायिका रेखा धस्माना ने सरस्वती बन्दना गाकर कार्यशाला को रोचक बनाया। कार्यशाला में हिमालय स्टडी सर्किल के डॉ. दिनेश जोशी, प्रतिपक्ष संवाद के विनोद जोशी, हैवलवाणी रेडियो के राजेंद्र नेगी, हाईफीड के डॉ. कमल बहुगुणा, सुशील बहुगुणा, अज़ीम प्रेम जी फाउंडेशन के अम्बरीश बिष्ट, महेश जुयाल, डॉ. चंद्रशेखर तिवारी, डॉ. योगेश धस्माना, डॉ. सुनीत नैथानी, डॉ. एस. पी. सती, मदन डोभाल, कमला पंत, हेमलता बहिन, रेखा शर्मा, रंजना शर्मा, महिपाल नेगी, हिमांशु आहुजा, चन्दन नेगी, डॉ. किशोर नौटियाल, चन्द्रमोहन थपलियाल, गिरीश डिमरी, अर्जुन बिष्ट, तर्रनुम सलीम, डॉ. सुमन गुसाईं, विजय भट्ट, डॉ. राजीव बिजल्वान, बिरेन्द्र भट्ट, गजेन्द्र नौटियाल, देवराज भट्ट, भगवंती, दीपा, कविता रावत आदि शामिल हुए. कार्यशाला के अंत में इंस्टिट्यूट फॉर डेवलपमेंट सपोर्ट के कार्यकारी निदेशक भरत पटवाल ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।