एक राष्ट्र, एक विधान के पक्षधर रहे पंडित दीनदयाल: महाराज

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-जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के हमेशा विरोधी रहे पंडित जी

-पंडित दीनदयाल के जन्मोत्सव पर महाराज ने किया स्मृति महोत्सव मेले का शुभारंभ

देहरादून: पंडित दीनदयाल उपाध्याय जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के हमेशा विरोधी रहे। वह भारत की अखण्ड के लिए लगातार संघर्षरत रहे। जम्मू-कश्मीर को लेकर एक राष्ट्र और एक विधान के वह हमेशा से ही प्रबल समर्थक रहे। उक्त बात प्रदेश के पर्यटन, लोक निर्माण, सिंचाई, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण, जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने रविवार को उत्तर प्रदेश के मथुरा, फरह के दीनदयाल धाम में आयोजित पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति महोत्सव मेले के शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में कही। एकात्म मानववाद दर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मोत्सव पर 29 सितम्बर से 02 अक्टूबर 2024 तक चलने वाले इस स्मृति महोत्सव मेले में पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति महोत्सव समिति और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्मभूमि स्मारक समिति द्वारा विशाल मेला एवं ग्रामीण विकास प्रदर्शनी के साथ-साथ लोक-कला, लोक संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण, भूमि संरक्षण, गौ सेवा, महिला सशक्तिकरण और “पुरातन सामर्थ्य के साथ-साथ नया भारत” जैसे विषय पर गोष्ठी एवं विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मोत्सव पर आज स्मृति महोत्सव मेले में उपस्थित अपार जन समुदाय को संबोधित करते हुए प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि पंडित दीनदयाल द्वारा प्रस्तुत दर्शन एकात्मक मानववाद का उद्देश्य एक ऐसे स्वदेशी सामाजिक, आर्थिक मॉडल को प्रस्तुत करना है जिसमें विकास के केंद्र में मानव हो। एकात्मक मानववाद अंत्योदय अर्थात समाज के निचले स्तर पर बैठे व्यक्ति के जीवन में सुधार करना है। उनका यह सिद्धांत विविधता को प्रोत्साहन देता है। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने सुशासन के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में पंडित जी का ही अनुसरण किया था। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी दूरदर्शी सोच एवं देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए “लोकल फॉर वोकल” को धरातल पर उतारा है।

श्री महाराज ने कहा कि दीनदयाल जी ने मानव के संपूर्ण विकास के लिए आत्मिक विकास के साथ-साथ वर्गहीन, जातिहीन और संघर्ष मुक्त समाज की कल्पना की थी। पंडित जी ने कहा था कि हमारे राष्ट्रीयता का आधार भारत माता है। भारत माता से यदि माता शब्द हटा दिया जाए तो भारत केवल एक जमीन का टुकड़ा मात्र बनकर रह जाएगा। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति महोत्सव मेले में आए लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि पंडित दीनदयाल की जयंती पर हम सभी भारत माता को सुजलाम सुफलाम के वास्तविक अर्थों को धरातल पर उतरने के लिए स्वयं को समर्पित करें। आत्मनिर्भर और समावेशी भारत बनाने का संकल्प लें, यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

कार्यक्रम में अखिल भारतीय गौ सेवा संयोजक अजीत महापात्र, अखिल भारतीय कार्यकारणी सदस्य अद्वैत चरण दत्त, विश्व हिन्दू परिषद, केंद्रीय मार्ग दर्शक दिनेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र प्रचारक महेंद्र, बृज प्रान्त के ग्राम्य विकास प्रमुख आर्येन्द्र, दीनदयाल धाम के निदेशक सोनपाल, नवकानन पंचकर्म उड़पिकर नाटक कर्नाटक के तन्मय गोस्वामी के अलावा आयोजन समिति एवं स्मारक समिति के सोहनलाल शर्मा, मनीष अग्रवाल, नरेंद्र कुमार पाठक, मधुसूदन दादू, केशव कुमार शर्मा एवं अभिषेक जैन आदि मौजूद थे।

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