बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी रंगभरी एकादशी, आरंभ होगा होली का पर्वकाल

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धर्म-संस्कृति: रंगभरी एकादशी बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी। इस दिन घरों में भगवान विष्णु एवं शिव पार्वती की पूजा होगी। श्रद्धालु उपवास रखेंगे। शहर के अलावा तीर्थ नगरी के मंदिरों में धार्मिक कार्यक्रम कराए जाएंगे। इसी के साथ होली का पर्वकाल प्रारंभ होगा।

फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष एकादशी को रंगभरी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस एकादशी को आमल की एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। नृसिंहपरिचर्या ग्रंथ के अनुसार इस दिन भगवान् विष्णु, भगवती लक्ष्मी के साथ आंवले के वृक्ष पर वास करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और शिव पार्वती की पूजा का विधान है।

इस दिन प्रातः स्नानादि के पश्चात हाथ में जल लेकर संकल्प करें तथा आंवले के वृक्ष के समीप बैठकर भगवान् का पूजन करें। ब्राह्मणों को दक्षिणा दें और कथा सुनें। बाद में एक सौ आठ, अट्ठाइस या आठ परिक्रमा करें। रात्रि में जागरण करके दूसरे दिन पारण करें। ऐसा करने से विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। इसकी कथा का सार यह है कि वैदेशिक नगर में चैत्ररथ राजा के यहां एकादशी के व्रत का अत्यधिक प्रचार था। 

एक बार फाल्गुन शुक्ल एकादशी के दिन नगर के सम्पूर्ण नर-नारियों को व्रत के महोत्सव में मग्न देखकर कौतूहलवश एक व्याधा वहां आकर बैठ गया और भूखा-प्यासा दूसरे दिन तक वहीं बैठा रहा। इस प्रकार अकस्मात् ही व्रत और जागरण हो जाने से दूसरे जन्म में वह जयन्ती का राजा हुआ।

रंगभरी एकादशी शुभ मुहूर्त 
एकादशी तिथि 20 मार्च को रात 12:21 से प्रारंभ हो रही है। एकादशी तिथि का समापन 21 मार्च को सुबह 02:22 मिनट तक है। रंगभरी एकादशी का शुभ मुहुर्त 20 मार्च है। इस दिन शिव पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है।

माधव उपाध्याय ज्योतिषाचार्य

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