नाबार्ड से प्रदेश को 223 करोड़ का तोहफा, 37 प्रोजेक्ट हुए मंजूर
शिमला: हिमाचल में सरकार के गठन के बाद शुरू हुए रिव्यू के फैसलों के बीच पहली बड़ी खबर सामने आई है। कांग्रेस के सत्ता संभालते ही नाबार्ड में 223 करोड़ रुपए के 37 प्रोजेक्ट मंजूर हो गए हैं। बीते दिसंबर महीने में यह धनराशि हिमाचल को मिली थी और अब लोक निर्माण विभाग इनकी टेंडर प्रक्रिया पूरी करेगा। जो प्रोजेक्ट नाबार्ड के तहत मंजूर हुए हैं, वे सभी सरकार के रिव्यू के फैसले से बाहर हैं। लोक निर्माण विभाग इन सभी प्रोजेक्ट को पूरा करेगा। जिन प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली है, उनमें चार पुल और अन्य सडक़ें शामिल हैं।
लोक निर्माण विभाग के स्तर पर अब तक हुई टेंडर प्रक्रिया को जरूर रोका गया है, लेकिन जो प्रोजेक्ट केंद्र से मंजूर होकर आ रहे हैं, उनकी प्रक्रिया पर सरकार ने सवाल नहीं उठाए हैं। ऐसे में ग्रामीण इलाकों में 37 सडक़ों और पुलों के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।
इससे पूर्व विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बिलासपुर के घुमारवीं के लिए एक बड़े पुल की मंजूरी भी मिली थी। आदर्श आचार संहिता की वजह से पुल का निर्माण शुरू नहीं हो पाया, लेकिन अब लोक निर्माण विभाग नाबार्ड के माध्यम से मंजूर इस पुल के टेंडर की आगमी प्रक्रिया शुरू कर चुका है।
हिमाचल के हिस्से में 90 फीसदी धनराशि ऋण के माध्यम से आएगी, जबकि कुल मंजूर बजट का 10 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार को खुद खर्च करना होगा। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने सत्ता संभालने के बाद प्रदेश भर के उन सभी फैसलों को रिव्यू किया है, जो अप्रैल के बाद हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए हैं। इन फैसलों का सबसे ज्यादा असर लोक निर्माण विभाग और जलशक्ति विभागों पर पड़ा है। इन दोनों विभागों के टेंडर प्रक्रिया को रोक दिया गया है। इन दोनों विभागों में नई भर्तियों पर भी पूरी तरह से रोक लगी हुई है।
पीडब्ल्यूडी के ठप कार्योंं को नाबार्ड से राहत: प्रदेश सरकार ने लोक निर्माण विभाग के सभी कार्यों पर ब्रेक लगा दी है। इनमें भर्तियां प्रक्रिया समेत टेंडर भी बाधित हुए हैं। इस समय लोक निर्माण विभाग में नाबार्ड के अलावा अन्य कोई भी गतिविधि नहीं चल पा रही है।
नाबार्ड से विकास कार्यों की शुरुआत को विभाग बड़ी राहत के रूप में अब देख रहा है। सभी 37 परियोजनाओं के शुरू होने से उन इलाकों में भी ग्रामीणों को राहत मिलेगी, जिनमें या तो पक्की सडक़ें नहीं हैं या लोगों को नाला या खड्ड पार करना पड़ता है।
विकास कार्यों के लिए जारी रहेगा पत्राचार: लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता अजय गुप्ता का कहना है कि विकासात्मक परियोजनाओं की डीपीआर बनाकर केंद्र को भेजी जाती है। नाबार्ड के तहत मंजूर हुए प्रोजेक्ट इसी प्रकिया का हिस्सा है। 223 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट की मंजूरी दिसंबर में मिली है।
लोक निर्माण विभाग इनके टेंडर को लेकर आगामी कार्रवाई कर रहा है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद मंजूर हुई सडक़ों और पुलों के निर्माण का काम शुरू हो जाएगा। लोक निर्माण विभाग भविष्य में भी इस तरह के प्रारूप नाबार्ड के साथ साझा करता रहेगा ।