मद्महेश्वर की भोग मूर्तियां सभामंडप में हुईं विराजमान, 24 मई को खुलेंगे कपाट

d 3 (34)
0 0
Read Time:3 Minute, 14 Second

रुद्रप्रयाग:  द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में पौराणिक परम्पराओं व रीति-रिवाजों के साथ शुरू हो गई है।

भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भ गृह से सभा मंडप पर लाया गया। वहीं सीमित महिलाओं द्वारा भगवान मदमहेश्वर को नए अनाज का भोग अर्पित किया गया।

इस दौरान लॉकडाउन के नियमों का सख्ती से पालन किया गया। शुक्रवार को भगवान मदमहेश्वर सभा मंडप में विराजमान रहेंगे। 22 मई को भगवान मदमहेश्वर की डोली ऊखीमठ से अपने धाम के लिए रवाना होगी।

जानकारी के अनुसार इस साल भी लॉकडाउन के कारण भगवान मदमहेश्वर की डोली मंगोलचारी से रांसी तक रथ से जाएगी।

बता दें कि मदमहेश्वर में भगवान शंकर के मध्य भाग की पूजा होती है। गुरुवार को ओंकारेश्वर मंदिर के प्रधान पुजारी शिव शंकर लिंग, टी गंगाधर लिंग व मदमहेश्वर धाम के प्रधान पुजारी शिव शंकर लिंग द्वारा भगवान ओंकारेश्वर सहित पंचनामा देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर जलाभिषेक किया।

भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव भोग मूर्तियों को परंपरागत सभा मंडप पर लाया गया और ब्राह्मण, वेद पाठियों द्वारा पुन भगवान मदमहेश्वर की मूर्तियों की विशेष पूजा की गई। इस बार भी ओंकारेश्वर मंदिर से मंगोलचारी तक परम्परा के मुताबिक पैदल पथ से जाएगी. वहां से रथ से राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी।

23 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी से प्रस्थान कर अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी।

24 मई को गौंडार गांव से प्रस्थान कर बनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्भा कूनचटटी होते हुए मदमहेश्वर धाम पहुंचेगी।

मदमहेश्वर धाम के कपाट परम्परानुसार विधि-विधान से ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएंगे देवस्थानम् बोर्ड के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि इस बार प्रशासन द्वारा देवस्थानम बोर्ड के आठ अधिकारी-कर्मचारियों तथा 12 हक-हकूकधारियों को धाम जाने की अनुमति दी गई है।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %