वट सावित्री के दिन जानें मुहूर्त और विधि, महिलाएं भूलकर ना करें ये काम
धर्मः वट सावित्रि व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं। इस बार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा, अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा, इस दिन स्त्रिया वट वृक्ष की पूजा करती है। इस बार वट सावित्री अमावस्या 19 मई 2023 को पड़ रहा है, वहीं पूर्णिमा 3 जून को है। तो आइए जानते हैं इस साल वट सावित्री व्रत की डेट, मुहूर्त और पूजा विधि?
मान्यता है कि इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है और परिवार के सदस्यों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। इस विशेष दिन पर वट वृक्ष यानि बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पूजा करती हैं।
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस बार अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई को रात 09 बजकर 42 मिनट पर होगी और 19 मई को रात 09 बजकर 22 मिनट पर खत्म होगी।
पूजा विधि
वट वृक्ष के नीचे सावित्री सत्यवान और यमराज की मूर्ति स्थापित करें और मूर्ति नहीं है तो मन से भी पूजा कर सकते हैं। वट वृक्ष की जड़ में जल डालें फिर फूल-धूप और मिठाई का भोग लगाएं। कच्चा सूत लेकर वट वृक्ष की परिक्रमा करें। 7 बार वट वृक्ष की परिक्रमा करें।फिर शांती से बैठकर हाथ में चना लेकर सत्यवान की कथा सुनें। पूजा के बाद सास को श्रृंगार का सामान, वस्त्र दें।
वट सावित्री के भूलकर ना करें ये काम
- इस दिन महिलाओं को काली, नीली, सफ़ेद रंग की साड़ी नहीं पहननी चाहिए।
- वट सावित्री के दिन महिलाओं को लाल, हरी जैसे रंगों की चूड़ियां पहननी चाहिए।
- भूलकर भी सफेद, काली रंग की चूड़ियां भी नहीं पहननी चाहिए।
- वट सावित्री की पूजा उसी पेड़ की करनी चाहिए जिसमें फल हो।
- इस दिन किसी से लड़ाई नहीं करना चाहिए। ये पर्व पति के लिए है तो पति से वाद-विवाद करने से बचे।
- पूजा करने से पहले महिलाओं को पानी नहीं पीना चाहिए।
- पूजा से पहले कुछ खाना भी नहीं चाहिए। पूजा के दौरान चना पानी के साथ निगलना चाहिए।