भारत को विश्व गुरू बनना है तो मातृभाषा में कार्य करना होगा: आर्लेकर

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शिमला: हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि देश के विकास में मातृभाषा की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यदि भारत विश्व गुरू बनना चाहता है तो हमें अपनी मातृभाषा में कार्य करना होगा।

राज्यपाल शुक्रवार को केन्द्रीय विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षण मंडल के प्रचार विभाग के संयुक्त तत्वाधान में कांगड़ा जिला के धर्मशाला में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारी शिक्षा व्यवस्था कोे उपनिवेशवाद से छुटकारा दिलाने का पहला प्रयास है। उन्होंने कहा कि इस नीति से युवा रोजगार प्रदाता बनेंगे न कि रोजगार चाहने वाले। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमें स्व अक्षर का बोध करवाती है जिसका तात्पर्य है कि हमारा राष्ट्र और हमारी संस्कृति एवं हमारा इतिहास, जो कुछ है वह मेरा अपना है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह जागृति लाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि यदि स्व जागृत होता है तो कोई भी हमें विश्व गुरू बनने से नहींे रोक सकता है।

राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान शिक्षा नीति हमें केवल नौकरी ढूंढने वाला बनाती है न कि रोजगार प्रदाता। यह युवाओं को अपनी मातृभूमि से नहीं जोड़ पाती जबकि इसके विपरित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमें सही राह पर चलने की दिशा दिखाती है। उन्होंने कहा कि भारत का गौरवशाली इतिहास एवं संस्कृति रही है। राजनीतिक आजादी प्राप्त करने के उपरान्त विश्व की हमसे विशेष अपेक्षाएं थी, परन्तु हमने दूसरे देशों की ओर देखना आरम्भ कर दिया। उन्होंने कहा कि हम विश्व को दिशा दिखा सकते थे लेकिन हमने अपना गौरवशाली इतिहास भूल चुके थे। उन्होंने कहा कि इसका कारण अंग्रेजों से प्रभावित होना था। उन्होंने कहा कि कई वर्षों के उपरान्त नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने हमें सही राह दिखाई है।

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