कैदियों की बढ़ती क्षमता को देखते हुए नई जेल बनाने की प्रक्रिया शुरू
नई दिल्ली: तिहाड़ में कैदियों की बढ़ती क्षमता को लेकर नरेला में नई जेल बनाने की प्रक्रिया फिर से शुरू हो गई है। जेल प्रशासन का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान कागजी प्रक्रिया रूक गई थी। हालांकि पांच साल पहले ही जेल बनाने की कवायद शुरू की गई थी, लेकिन डीडीए की ओर से जमीन हस्तांतरित नहीं होने की वजह से इसके निर्माण कार्य की शुरूआत नहीं हो पाई थी।
जेल प्रशासन के अनुसार, तिहाड़ जेल में क्षमता से दोगुना कैदियों के बंद होने से जेल प्रशासन को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना महामारी के दौरान जेल में बंद कैदियों की संख्या को कम करने के लिए उन्हें पैरोल और जमानत पर छोड़ा गया था। महामारी के बाद एक बार फिर तिहाड़ के जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी हो गए हैं।
तिहाड़ के अलावा रोहिणी एवं मंडोली में जेल परिसर है। तिहाड़ में नौ, रोहिणी में एक तथा मंडोली में छह जेल हैं। तिहाड़ के जेल संख्या आठ और नौ को छोड़ कर सभी जेल पुरानी हैं। ऐसे में पुरानी जेल को दो मंजिला बनाने की कवायद शुरू की गई है। साथ ही पहले से लंबित नरेला में बनने वाले नई जेल को लेकर भी कागजी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
2017 में दिल्ली सरकार की ओर से नरेला में जेल परिसर बनाने की प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन डीडीए से जमीन हस्तांतरित नहीं होने के चलते इसका निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। जेल के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जेल के लिए नरेला में 40 एकड़ जमीन को चिंहित की गई थी। उस दौरान डीडीए ने जमीन को सरकार की कीमत पर देने की बात कही थी।
उस दौरान जमीन की कीमत पांच करोड़ रुपये प्रति एकड़ थी। परिसर में चार जेल बनने थे और इसमें करीब ढ़ाई सौ कैदियों की रखने की व्यवस्था होनी थी। जेल में रोहिणी और तीस हजारी अदालत में चलने वाले मामले में शामिल कैदियों को रखे जाने की बात थी।
जेल के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इस योजना पर काम शुरू हुआ लेकिन कोरोना महामारी की वजह से कागजी प्रक्रिया धीमी हो गई। अब फिर से कागजी प्रक्रिया शुरू की गई है और जल्द ही इस योजना को अमली जामा पहनाए जाने की उम्मीद जताई जा रही है।