अगर हमारे मन में शांति नहीं है, तो हम खुश नहीं हो सकते : दलाई लामा

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धर्मशाला: तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने कहा कि दुनिया में बड़े पैमाने पर भौतिक चीजों पर बहुत ध्यान दिया गया है, लेकिन मन पर बहुत कम। फिर भी जब हम सुख और दुख के बारे में बात करते हैं, तो वे आंतरिक, मानसिक अनुभव होते हैं। अगर हमारे मन में शांति नहीं है, तो हम खुश नहीं होंगे। दलाई लामा ने यह विचार अपने निवास में माइंड एंड लाइफ इंस्टीट्यूट के सदस्यों द्वारा संवाद कार्यक्रम के दौरान पूछे गए सवालों के जबाव में व्यक्त किए।

दलाई लामा ने कहा कि दुनिया में हम जो कई संघर्ष देखते हैं, वे भौतिक चीजों, भौतिक संसाधनों और शक्ति के बारे में हैं। इसलिए हमें यह देखने की जरूरत है कि अतीत में क्या हुआ था। हमें उससे सीखने की जरूरत है ताकि हम शांति, खुशी और एकजुटता के आधार पर भविष्य का निर्माण कर सकें। मन की शांति का मूल करुणा है। जैसे ही हम में से अधिकांश का जन्म होता है, हमारी माताएं हमारी देखभाल करती हैं और हमें करुणा का पहला पाठ देती हैं। इसके बिना हम जीवित नहीं रहेंगे। इस तरह से हमारा जीवन शुरू होता है।

धर्मगुरू ने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि हम अपनी शिक्षा में कुछ उपेक्षा करते हैं। अनुभव हमें दिखाता है कि हम जितने अधिक दयालु होते हैं, उतनी ही अधिक हम आंतरिक शांति और इसके साथ आंतरिक शक्ति प्राप्त करते हैं।

वहीं संवाद कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए माइंड एंड लाइफ संस्था के सदस्यों ने कहा कि वह यहां आकर खुश हैं। उन्होंने कहा कि हमें धर्मगुरू दलाई लामा को व्यक्तिगत रूप से देखे हुए तीन साल हो चुके थे। आपको स्वस्थ और सेहतमंद देखकर बहुत अच्छा लगा। यह आयोजन माइंड एंड लाइफ इंस्टीट्यूट और माइंड एंड लाइफ यूरोप के प्रयासों का परिणाम है। पहला माइंड एंड लाइफ डायलॉग हुए 35 साल हो चुके हैं। हम वापस आकर बहुत खुश हैं।

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