उत्तराखंड में भारी बारिश और बादल फटने से 4 की मौत, 13 लापता
देहरादून: उत्तराखंड में शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात से रुक-रुक कर हो रही बारिश से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है। प्रदेश के तीन जिलों में बादल फटने की घटनाएं हुई हैं। इनमें अब तक 4 लोगों की मौत और 13 लोगों के लापता होने की खबर है। भारी बारिश से तीन राष्ट्रीय राजमार्ग समेत राज्य की 282 सड़कें बंद हो गईं, जिनमें से 32 सड़कों पर आज यातायात बहाल कर दिया गया।
भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं से जहां नदी-नाले, गदेरे उफान पर हैं वहीं बारिश के पानी के अचानक आने से कई इलाकों में लोग फंस गए, जिन्हें राहत एवं बचाव कार्य में जुटीं टीमों ने सुरक्षित निकाल लिया। कुछ की मौत और लापता होने की भी जानकारी मिली है। देहरादून, पौड़ी और टिहरी समेत तीन जनपदों में बदल फटने की घटना हुई हैं। इनमें अब तक 4 लोगों की मौत और 13 लोगों के लापता होने की खबर है, जबकि 12 लोग जख्मी हो गए हैं। इनमें से तीन गंभीर घायलों को एयरलिफ्ट करके अस्पताल लाया गया। भारी बारिश के चलते अभी तक प्रदेश में 34 मकानों के क्षतिग्रस्त होने और 73 पशुओं की मौत की भी खबर है।
राजधानी देहरादून में बारिश ने जमकर कहर बरपाया है। जिले के मालदेवता में बादल फटने से भारी तबाही हुई है। कई घर बह गए हैं। दो लोग लापता बताए जा रहे हैं। भारी बरसात ने जीवन तहस-नहस कर दिया है। सौंग नदी उफान पर है। इस वजह से रायपुर से थानो रोड को जोड़ने वाला पुल टूट गया है। एसडीआरएफ की टीम राहत और बचाव कार्य में जुटी है।
उधर, ऋषिकेश और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश से जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है, जिसके कारण नगर के बीचोंबीच बहने वाली चंद्रभागा, सुसुवा नदी सहित सभी नाले उफान पर हैं। मुनीकी रेती थाना क्षेत्र के तपोवन में एक गदेरा बारिश की वजह से उफान पर आ गया। इसकी वजह से उसके पास रह रहे 81 लोग फंस गए, जिसमें कुछ बच्चे दो से चार साल के भी थे। इन सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया है।
आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि मौसम विभाग की चेतावनी पर प्रदेश भर में एनडीआरएफ-एसडीआरएफ और पुलिस पहले से पूरी सतर्क थी। सभी जिलों में उनकी टीमें और पुलिस मिलकर राहत एवं बचाव कार्यों में युद्धस्तर पर जुटी हैं। शासन स्तर से सभी जरूरी मदद मिल रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित इलाकों का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने राहत और बचाव कार्यों की जानकारी लेने के साथ अधिकारियों और बचाव के कार्य में लगी टीमों को आवश्यक निर्देश दिए हैं। जरूरत पड़ने पर सेना की भी मदद लेने की बात कही है।