जीव-जंतुओं सहित हर तरह की गंदगी उठाने का मजबूर हैं पर्यावरण मित्र
नैनीताल: नगर पालिका में कार्यरत पर्यावरण मित्रों को पालिका सफाई कार्य के लिए दस्ताने, रैक आदि आवश्यक उपकरण उपलब्ध नहीं करा रही है। इस कारण नगर पालिका के पर्यावरण मित्र नंगे हाथों से मरे एवं सड़े हुए पशुओं सहित अन्य गंदगी को उठाने को मजबूर हैं।
देवभूमि उत्तराखंड सफाई मजदूर संघ के महासचिव सोनू सहदेव ने कहा कि काफी समय से यह स्थिति बनी हुई है। कई बार पालिका के उच्चाधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराते हुए ग्लब्स, रैक, मास्क, सेनिटाइजर, बेलचे व गमबूट आदि उपकरण उपलब्ध कराने की मांग की गई है। ऐसे में कर्मचारियों को नैनी झील में मरने वाली मछलियों, नगर में मरने वाले आवारा कुत्तों सहित हर तरह की गंदगी नंगे हाथों से उठानी पड़ रही है। इस बारे में नगर पालिका के अधिकारियों से कोई जवाब प्राप्त नहीं हो पाया।
मर रहीं नैनी झील की मछलियां
नैनी झील की मछलियों को मारने पर प्रतिबंध तो है ही, वैसे भी कुछेक लोगों द्वारा इन्हें मारने की घटनाओं को छोड़ दिया जाये तो इन्हें झील से बाहर निकालने की कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि कई बार मछलियों के नए बीज झील में डाले जाते हैं। इससे न केवल मछलियों की संख्या अत्यधिक बढ़ गई है, बल्कि इनमें से अधिकांश मछलियां उम्रदराज भी हो गई हैं।
पूर्व में बिग हेड प्रजाति की मछलियों को झील से पकड़ा भी गया, लेकिन इधर एक दशक से भी अधिक समय से ऐसा नहीं किया गया है। उन्हें सैलानियों के साथ ही नगर वासियों के द्वारा शौकिया और धार्मिक मान्यता के तहत ब्रेड, बन व चने आदि खिलाना भी अनवरत जारी है। ऐसे में मछलियां मर कर झील को दूषित भी कर रही हैं।
इस पर पूछे जाने पर पूर्व में झील के संरक्षण का कार्य करने वाले झील संरक्षण परियोजना के परियोजना प्रबंधक सीएम साह ने बताया कि पूर्व में परियोजना के बायो मैन्यूपुलेशन कार्यक्रम के तहत मछलियां निकाली जाती थीं। अब झील का प्रबंधन देखने वाले सिचाई विभाग के अधिशासी अभियंता केएस चौहान ने कहा कि मत्स्यिकी विभाग से नैनी झील की मछलियों पर अध्ययन करने को पत्र लिखा जाएगा।