कोरोना काल में बेसहारा बच्चों को मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना से मिला सहारा, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने योजना का किया शुभारम्भ

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-पहले चरण में 1062 बच्चे हुए लाभान्वित
-योजना में आच्छादित बच्चों को 3 हजार रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता
-सरकार एक अभिभावक की तरह रखेगी बच्चों का ध्यान

देहरादून:  मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कोरोना काल में बेसहारा हुए बच्चों के लिए मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का विधिवत शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता दर्शन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने डीबीटी द्वारा योजना में चिन्हित बच्चों के बैंक खातों में 3-3 हजार रूपए की सहायता राशि ट्रांसफर की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में बच्चों के माता-पिता व संरक्षक के चले जाने की भरपाई करना मुमकिन नहीं है। परंतु राज्य सरकार एक अभिभावक की तरह इनका हमेशा ध्यान रखेगी। जिलों में डीएम इनके सह अभिभावक के रूप में काम करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाव में ही भगवान होते हैं। हमारा इन बच्चों के प्रति स्नेह, प्रेम और उत्तरदायित्व का भाव है। हम सभी इन बच्चों के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, पूरे मनोयोग से करें। इनकी सहायता से पुण्य प्राप्त होगा। वात्सल्य, माता-पिता में अपने बच्चों के लिए होने वाला नैसर्गिक प्रेम होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे इन बच्चों के मामा की तरह ध्यान रखेंगे। कोरोना काल में जिन बच्चों की आंखों में आंसू आए हैं, उनके चेहरों पर मुस्कान लाने का प्रयास कर रहे हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इण्टरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाली बालिका निकेतन की कुमारी तारा एवं कुमारी स्मृति को सम्मानित भी किया। बालिका निकेतन की बालिकाओं ने मुख्यमंत्री एवं अतिथियों को स्वनिर्मित पेंटिंग भेंट की।
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि राज्य सरकार कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चों की हर सम्भव मदद कर रही है। केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा जनहित में बहुत सी योजनाएं शुरू की गई हैं। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, श्रीमती रेखा आर्या, विधायक धन सिंह नेगी, सचिव हरि चंद्र सेमवाल सहित अन्य विशिष्ट जन उपस्थित थे।

इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चन्द अग्रवाल, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, विधायक मुन्ना सिंह चौहान, सहदेव पुण्डीर, रामसिंह कैड़ा, दीवान सिंह बिष्ट सहित विशिष्टजन और अधिकारी उपस्थित थे।

-प्रदेश की पहचान बनेंगे बच्चे

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहली योजना होगी जिसमें हम चाहते हैं कि योजना में आच्छादित बच्चों की संख्या इतनी ही बनी रहे, और किसी बच्चे को इसकी जरूरत न हो। फिर भी हम इनकी पूरी देखभाल करेंगे। ये बच्चे पूरे प्रदेश की पहचान बनेंगे। अपने -अपने क्षेत्र में वे लीडर बनेंगे। पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डा. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अभावों में संघर्ष करने वाले अपनी संकल्प शक्ति से आसमान को छूते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना में आच्छादित बच्चों को प्रतिमाह 3-3 हजार रूपए की सहायता राशि दी जा रही है। इसके साथ ही इन्हें निशुल्क राशन, निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था भी की जा रही है। जिलों के डीएम इन बच्चों की सम्पत्ति का संरक्षण भी करेंगे। अनाथ बच्चों के लिए नौकरियों में पांच प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था करने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य है। सरकार इन बच्चों के कौशल विकास पर भी ध्यान देगी।

-सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास सरकार का ध्येय

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार का भाव अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को आगे बढ़ाना है। सरकार एक सहयोगी के रूप में काम कर रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ध्येय वाक्य सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास पर राज्य सरकार चल रही है। वर्ष 2017 से जितनी भी घोषणाएं की गई है, वे सभी पूर्ण होने की ओर अग्रसर हैं। हाल ही में कोरोना से प्रभावित चार धाम यात्रा व पर्यटन से जुड़े लोगों के लिए 200 करोड़ जबकि हेल्थ सेक्टर और हेल्थ सेक्टर में काम कर कोरोना योद्धाओं के लिए 205 करोड़ रूपए का पैकेज लाए हैं। युवाओं के लिए रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया तेजी से शुरू करने जा रहे हैं। स्वरोजगार के लाखों अवसर उत्पन्न करने पर काम कर रहे हैं।

-मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना सरकार के मानवीय पक्ष का प्रतीक

कैबिनेट मंत्री श्रीमती रेखा आर्या ने कहा कि मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना सरकार के मानवीय चेहरे को बताता है। कोरोना ने हमसे बहुत कुछ छीना है। हर किसी ने अपने किसी को खोया है। हमें इस दर्द से संघर्ष करके आगे बढ़ना है। कोरोना काल में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों की पीड़ा को मुख्यमंत्री और राज्य सरकार ने समझा है। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना अन्त्योदय की परिकल्पना को साकार करती है। यह योजना बच्चों को सामाजिक, आर्थिक और मानसिक तौर पर सशक्त करेगी। सरकार इनके अभिभावक की भूमिका का निर्वाह कर रही है।

-21 वर्ष की आयु तक 3 हजार रूपए प्रतिमाह की सहायता

रेखा आर्या ने बताया कि दिनांक 01 मार्च, 2020 से 31 मार्च, 2022 तक कोविड-19 महामारी एवं अन्य बीमारियों से पिताध्माताध्संरक्षक की मृत्यु अथवा माता-पिता में से कमाऊ सदस्य की मृत्यु के कारण जन्म से 21 वर्ष तक के प्रभावित बच्चों की देखभाल, पुनर्वास, चल अचल सम्पत्ति, उत्तराधिकारों एवं विधिक अधिकारों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना लागू की गयी है। इस योजना में आच्छादित बच्चों को 3 हजार रूपए प्रतिमाह की आर्थिक सहायता 01 जुलाई, 2021 से 21 वर्ष की आयु तक अनुमन्य की गयी है।

-आर्थिक सहायता के साथ शिक्षा, पोषण व संरक्षण

सरकार द्वारा प्रभावित बच्चों के भरण-पोषण, सुरक्षा एवं सर्वांगीण विकास का दायित्व स्वयं लेते हुये ऐसे बच्चों का निरन्तर अनुश्रवण किया जा रहा है। उन्हें सामाजिक एवं आर्थिक संरक्षण प्रदान करने हेतु प्रतिमाह रू0 3000.00 की आर्थिक सहायता के साथ-साथ उन्हें शिक्षा एवं स्वास्थ्य की सुविधाएं प्रदान करने हेतु आवश्यक कार्यवाही की जा रही है। बच्चों की सुरक्षा एवं संरक्षण हेतु समस्त जिलाधिकारियों को प्रभावित बच्चों की देखभाल, पुनर्वास, चल-अचल सम्पत्ति, उत्तराधिकारों एवं विधिक अधिकारों की रक्षा हेतु संरक्षक अधिकारी नामित किया गया है।

-कुल 2347 बच्चे चिन्हित, प्रथम चरण में 1062 बच्चे लाभान्वित

01 अगस्त, 2021 तक जन्म से 21 वर्ष तक की आयु के कुल 2347 बालकध्बालिका चिन्हित किये गये है। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के शुभारम्भ के अवसर पर प्रथम चरण में कुल 1062 बच्चों को लाभान्वित किया जा गया है। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के संचालन हेतु एमआईएस पोर्टल बनाया जा रहा है, जिसमें समस्त बच्चों का विवरण जनपदों द्वारा ऑनलाइन भरा जायेगा। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजनान्तर्गत प्रतिमाह 3 हजार रूपए के मानकानुसार जुलाई, 2021 से प्रारम्भ करते हुए निदेशालय द्वारा पीएफएमएस के माध्यम से डीबीटी सीधे चिन्हित बच्चों के बैंक खातों में धनराशि भेजी जायेगी।

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