कांग्रेस ने जीता चुनाव, BJP ने ‘बदले की राजनीति’ का लगाया आरोप 

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शिमला: कांग्रेस को मतदाताओं से पुन: जोड़ने के मकसद से राहुल गांधी के नेतृत्व में जारी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ भले ही हिमाचल प्रदेश से नहीं गुजरी हो, लेकिन राज्य के लोगों ने पार्टी पर भरोसा जताया और उसे विधानसभा चुनाव में बेहतरीन जीत दिलाई। लंबे समय तक चुनावों में लगातार हार झेलने वाली कांग्रेस ने इस महीने राज्य में फिर से जीत हासिल की। कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में 68 सीट में से 40 पर जीत हासिल की और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता से बाहर कर दिया। भाजपा को मात्र 25 सीट पर जीत मिली।

इस शानदार जीत के बावजूद कांग्रेस अगले चरण यानी सरकार के गठन के लिए कुछ हद तक संघर्ष करती प्रतीत हुई। राज्य के छह बार मुख्यमंत्री रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की, लेकिन कांग्रेस आला कमान ने उनके बजाय राज्य चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू को इस पद के लिए योग्य माना। सुक्खू पूर्ववर्ती शाही परिवार की तुलना में जमीनी पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं। राज्य में पहली बार उपमुख्यमंत्री पद किसी को सौंपा गया। मुकेश अग्निहोत्री को यह पद दिया गया। 

नया साल नजदीक आ रहा है, लेकिन दो सदस्यीय मंत्रिमंडल का अभी विस्तार नहीं किया गया है। राज्य मंत्रिमंडल में अधिकतम कुल 12 सदस्य हो सकते है। इस देरी के कारण इन अटकलों को बल मिल रहा है कि पार्टी को अपनी राज्य इकाई में दो मुख्य धड़ों के बीच संतुलन बनाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच, नयी सरकार ने एक अन्य मोर्चे पर तेजी दिखाई और पूर्ववर्ती सरकार के उठाए गए कई कदमों को वापस ले लिया। उसने हालिया महीनों में किए गए फैसलों की समीक्षा का निर्देश दिया, सेवा में विस्तार के बाद कार्यरत अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया और परियोजनाओं पर फिलहाल रोक लगा दी। 

सरकार द्वारा स्वास्थ्य केंद्रों, स्कूलों एवं विद्युत विभाग कार्यालयों समेत करीब 600 केंद्रों को रद्द किए जाने पर सर्वाधिक विवाद हुआ। सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने दावा किया कि इनमें से कुछ केंद्र केवल दस्तावेजों पर दिख रहे थे और राज्य के बजट में उनमें से कई के लिए कोई प्रावधान ही नहीं था, लेकिन भाजपा ने इसे ‘‘बदले की राजनीति’’ करार दिया। इस साल के अंत में चुनाव से पहले राज्य एवं केंद्र में भाजपा सरकार ने हिमाचल प्रदेश में कई बड़ी परियोजनाएं शुरू कीं। 

ऊना में एक बड़े औषधीय उद्यान की आधारशिला रखी गई, बिलासपुर में एक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान का उद्घाटन किया गया और ऊना जिले से एक वंदे मातरम ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई। तत्कालीन सरकार ने सरकारी कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने की घोषणा की, जिससे राजकोष पर भारी दबाव पड़ा। नयी सरकार का दावा है कि उस पर करीब 75,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए भाजपा सरकार ने पहले तीन साल के बजाय दो साल के बाद सेवाओं को नियमित करने की अनुमति दी, लेकिन वह पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को फिर से लागू करने की मांग पर सहमत नहीं हुई। 

सरकारी कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना के लिए राज्यभर में प्रदर्शन किए, रैलियां कीं और राज्य विधान भवन का घेराव भी किया। इस बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने विधानसभा में कहा, ‘‘पेंशन चाहिए तो चुनाव लड़ लो।’’ इस बयान के कारण उनकी कड़ी आलोचना हुई। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने ओपीएस को चुनावी मुद्दा बनाया। पैकिंग सामग्री पर 18 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और अन्य लागत में वृद्धि को लेकर सेब उगाने वाले किसानों ने भी सरकार का विरोध किया। वे भाजपा सरकार द्वारा फल पर ‘‘100 प्रतिशत’’ आयात शुल्क लगाने से इनकार किए जाने से भी नाराज थे। 

मंडी में जनवरी में जहरीली शराब पीने से सात लोगों की मौत हो गई और नौ लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच में पता चला कि इस अवैध शराब के लिए कच्चा माल राज्य के बाहर से मंगवाया गया था। इस मामले में 23 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस साल परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक होने को लेकर भी हंगामा हुआ। कार्यालय सहायकों की भर्ती की परीक्षा का प्रश्न पत्र हाल में लीक होने के बाद सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग (एचपीएसएससी) के कामकाज को निलंबित कर दिया। 

शुरू में गिरफ्तार किए गए छह लोगों में आयोग का एक सदस्य भी शामिल था। इससे पहले, मई में भाजपा के कार्यकाल में कांस्टेबल की भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक होने के बाद 250 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई ने अब इस मामले को अपने हाथ में ले लिया है। सरकार द्वारा संचालित हिमाचल प्रदेश के एक विश्वविद्यालय का इस महीने प्रश्न पत्र लीक होने से परीक्षा कार्यक्रम गड़बड़ा गया।

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