लोक परंपराओं के सार को समेटे हुए, तीन दिवसीय आदि गौरव महोत्सव का हुआ समापन

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देहरादून: जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआई) उत्तराखंड द्वारा आयोजित तीन दिवसीय आदि गौरव महोत्सव 2024 का आज शानदार समापन हुआ। इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, प्रदर्शनियों और विभिन्न राज्यों के जनजातीय समुदायों की उत्साहपूर्ण भागीदारी के साथ उत्तराखंड के जनजातीय समुदायों की समृद्ध विरासत का जश्न मनाया गया। प्रसिद्ध लोक गायक किशन महिपाल और सनी दयाल ने उत्तराखंड की लोक परंपराओं के सार को समेटे हुए अपने शानदार प्रदर्शन से अंतिम दिन को रोशन कर दिया और दूनवासियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस महोत्सव में जनजातीय कला को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी भी लगाई गई। आगंतुकों ने सुंदर वस्त्रों, हस्तशिल्प और अन्य पारंपरिक कृतियों की प्रशंसा की, जो जनजातीय कारीगरों की रचनात्मकता और कौशल को उजागर करती हैं। महोत्सव के समापन दिवस पर बोलते हुए मुख्यमंत्री उत्तराखंड के अपर सचिव एस.एस. टोलिया ने कहा, “आदि गौरव महोत्सव हमारी जनजातीय विरासत का उत्सव रहा है। यह कार्यक्रम कलाकारों और समुदायों को उत्तराखंड की जीवंत संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए एक साथ लाया। प्रस्तुतियों व प्रदर्शनियों के ज़रिए न केवल मनोरंजन हुआ, बल्कि दर्शकों को हमारी अनूठी परंपराओं को संरक्षित करने के महत्व के बारे में भी जागरूक किया।”
अपने समापन भाषण में टीआरआई उत्तराखंड के समन्वयक राजीव कुमार सोलंकी ने कहा, “इस वर्ष का आदि गौरव महोत्सव विशेष रूप से खास है क्योंकि यह सम्मानित आदिवासी गुरु और स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर आयोजित हुआ है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दूरदर्शी नेतृत्व में, हमने 2021 से अब तक चार बार इस कार्यक्रम की सफलतापूर्वक मेजबानी की है। इस वर्ष का महोत्सव एक शानदार सफलता रही, जिसमें तीन दिनों में 240 से अधिक कलाकारों ने अद्वितीय प्रस्तुतियां दीं। इसके अतिरिक्त, महोत्सव में आदिवासी शिल्प और उत्पादों को प्रदर्शित करने वाले लगभग 150 स्टॉल लगाए गए थे, जिनसे लगभग 15 से 20 लाख रुपये की बिक्री हुई। मैं प्रतिवर्ष जनजातीय विज्ञान महोत्सव आयोजित करने की घोषणा के लिए हमारे मुख्यमंत्री का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। इस अवसर पर अपर निदेशक योगेंद्र रावत भी मौजूद रहे।

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