मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए कांग्रेस के हरीश धामी दे सकते हैं अपनी विधायिका की कुर्बानी
देहरादून: कांग्रेस के धारचूला क्षेत्र के विधायक हरीश धामी सीएम पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट खाली कर सकते हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को छह माह के भीतर उत्तराखंड विधानसभा का सदस्य बनना है। कांग्रेस विधायक हरीश धामी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट खाली करने के संकेत दे चुके हैं। सीएम के लिए सीट छोड़ने के बदले हरीश धामी को कैबिनेट मंत्री स्तर का दर्जा देकर किसी आयोग, निगम या परिषद का चेयरमैन बनाया जा सकता है। हरीश धामी ने वर्ष 2014 में तत्कालीन सीएम हरीश रावत के लिए भी अपनी धारचूला सीट छोड़ दी थी, फिर हरीश रावत इस सीट से विधानसभा पहुंचें।
कांग्रेस से नाराज चल रहे करीब 10 विधायक कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बना सकते हैं। इस सिलसिले में गुपचुप बैठकों का दौर चल रहा है। कांग्रेस के नवनियुक्त पदाधिकारियों से इन विधायकों ने दूरी बनाई हुई है। पिथौरागढ़ जिले के धारचूला से विधायक हरीश धामी ने बगावती तेवर अपनाते हुए प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। प्रदेश में पार्टी की बदहाली के लिए प्रभारी को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि विधायक जल्द ही अलग दल बनाने का निर्णय ले सकते हैं।
धामी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए सीट छोड़ने के साफ संकेत देकर कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है।
कांग्रेस में नई नियुक्तियों को लेकर बढ़ता असंतोष राष्ट्रीय नेताओं के विरोध का रूप ले रहा है। चुनाव से ठीक पहले प्रदेश में चुनाव प्रबंधन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री व चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष रहे हरीश रावत ने प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के खिलाफ मोर्चा खोला था। चुनाव में हार के कारणों की समीक्षा का परिणाम प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष पदों पर नई नियुक्तियों के रूप में सामने आया है। इसके बाद प्रदेश प्रभारी और हार की समीक्षा करने वाले राष्ट्रीय नेताओं के खिलाफ गुस्सा फूट रहा है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह हार का ठीकरा फोड़ने और गुटबाजी के लिए जिम्मेदारी ठहराए जाने पर प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और राष्ट्रीय महामंत्री संगठन पर गुस्सा निकाल चुके हैं। विधायक मदन बिष्ट और हरीश धामी के तेवर अधिक तीखे हैं। पार्टी हाईकमान के निर्देश पर असंतोष प्रबंधन की कसरत शुरू हो चुकी है। नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य विधायकों व वरिष्ठ नेताओं की मान-मनौव्वल तेज कर चुके हैं। कांग्रेस के 19 विधायकों में असंतुष्टों की संख्या अधिक है। इनमें से कुछ ने ही खुलकर विरोध जताया है। विधायक धामी ने प्रदेश प्रभारी यादव पर हमलों की धार तेज कर दी। उन्होंने कहा कि हार के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार प्रभारी है। उत्तराखंड में कांग्रेस को डुबोने का काम प्रभारी ने किया। मोतीलाल वोरा और अंबिका सोनी जैसे कद्दावर प्रभारी के स्थान पर पार्टी ने ऐसे व्यक्ति को प्रभार सौंपा, जिसकी विधानसभा चुनाव में जमानत तक जब्त हो चुकी है। धामी ने यहां तक कह दिया कि देवेंद्र यादव के नाम से मुजफ्फरनगर कांड, खटीमा कांड और मसूरी कांड के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले मुलायम सिंह यादव की याद आती है। वह प्रभारी नहीं, बल्कि प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पार्टी चलाने का काम कर रहे हैं। धामी ने कहा कि चार-चार पीढ़ी से कांग्रेस से जुड़े रहे, तीन-तीन, चार-चार साल से विधायकों की पार्टी ने उपेक्षा की है।