मुख्यमंत्री धामी का करप्शन पर कड़ा प्रहार, देवभूमि में सुशासन का दौर, भ्रष्टाचार की तय हार
देहरादून। देवभूमि के नाम से विख्यात उत्तराखंड में अब सुशासन का एक स्वर्णिम अध्याय लिखा जा रहा है और इसे लिख रहे हैं सूबे के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी। हमारे इस दावे की तस्दीक करते हैं वो सभी फैसले, जो हाल के दिनों में पुष्कर सिंह धामी द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ लिए गए। उनके द्वारा की गई कार्रवाई नज़ीर बन रही है और अब तो देश के दूसरे राज्यों से भी ये मांग उठने लगी है कि करप्शन की कालिख को कैसे साफ़ किया जाता है ये धामी से सीखा जाना चाहिए। दरअसल शनिवार को मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर परीक्षा घोटालों की जांच कर रही एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष और आईएफएस अधिकारी आरबीएस रावत , सचिव मनोहर कन्याल और पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को गिरफ़्तार कर लिया। एसटीएफ ने यह कार्रवाई UKSSSC द्वारा 2016 में कराई गई वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में हुई धांधली की जांच के बाद की है। ये कार्रवाई इस लिहाज से भी बड़ी हो जाती है कि गिरफ्तार किए गए आरबीएस रावत उत्तराखंड में वन विभाग के मुखिया रह चुके हैं। धामी के इस धाकड़ फैसले ने एक बार फिर दिखा दिया है कि करप्शन के खिलाफ उनकी जीरो टॉलरेंस की नीति केवल कहने भर तक नहीं है और भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए वो कड़े और बड़े… दोनों ही तरह के फैसले लेने से पीछे नहीं हट रहे हैं।इस से पहले धामी ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपों का सामना कर रहे चर्चित आईएएस अधिकारी राम विलास यादव को निलंबित कर दिया था जिसके कुछ देर बाद ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। ठीक ऐसे ही कॉर्बेट पार्क में टाइगर सफारी बनने में अनियमितता का मामला सामने आने पर सीएम धामी ने पूर्व आईएफएस किशनचंद व अन्य अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक मामले में तो ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां हुई ही हैं। इस मामले में मुख्य सरगना मूसा सहित 41 आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं और कई अन्य जल्द ही गिरफ्तार किए जा सकते हैं। इतना ही नहीं, जेल में बंद नकल माफिया हाकम सिंह के सम्पत्तियों पर बुलडोजर भी गरज रहा है। धामी के इस धाकड़ एक्शन से हाकम सिंह द्वारा किया गया अवैध निर्माण और भ्रष्टाचारियों के हौसले… दोनों टूट रहे हैं।सीएम धामी के निर्देश पर शनिवार को हुई बड़ी गिरफ्तारियों ने तो देश में एक नई बहस ही छेड़ दी। सोशल मीडिया पर धामी की तारीफ करने वालों में जितने लोग उत्तराखंड से हैं उस से कहीं ज्यादा देश के अन्य राज्यों से हैं और उनकी मांग है कि उनके प्रदेश के मुख्यमंत्री भी धामी से सीख लें। सोशल मीडिया पर जहां कुछ लोग पूर्व मुख्यमंत्री का भ्रष्टाचार गिनवा रहे हैं तो कुछ केजरीवाल को निशाना बना रहे हैं। कुछ ने राजस्थान में भर्ती घोटाले को लेकर अशोक गहलोत को घेरा है तो कोई सुशासन बाबू के नाम से प्रसिद्धि पाने वाले नीतीश कुमार पर सवाल उठा रहा है।इस पूरे मंथन का अर्क ये निकलता है कि अनियमिताओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस स्तर की कार्रवाई आज उत्तराखंड में हो रही है,वैसी देश के किसी दूसरे राज्य में देखने को नहीं मिल रही। सीएम पुष्कर सिंह धामी का राजनीतिक अनुभव अशोक गहलोत, नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल से भले ही कम हो लेकिन भ्रष्टाचार को मिटाने की जैसी इच्छाशक्ति उन्होंने दिखाई है वैसी इनमें से किसी दूसरे सीएम ने नहीं दिखाई। शनिवार को रुद्रप्रयाग के दौरे पर गए सीएम धामी ने अपने अटल इरादों को जाहिर करते हुए दोहराया कि जो भी भ्रष्टाचार में लिप्त होगा उसको किसी भी तरह से छोड़ा नहीं जाएगा और ऐसे लोगों की जगह केवल जेल में होगी। यानी स्पष्ट है कि सीएम धामी किसी भी भ्रष्टाचारी को बख्शने के मूड में नहीं है और उन्होंने तय कर लिया है कि वो देवभूमि को सच्चे अर्थों में देवभूमि बना कर ही दम लेंगे।